नमस्कार दोस्तों, Tally Prime सीखने की सीरीज मे आज का टॉपिक Basic Accounting Terminology है। इसके अंतर्गत आप अकाउंटिंग मे उपयोग होने वाली लेखांकन शब्दावली (Accounting Terminology) को जान व समझ पाएंगे। भले ही आप Tally सॉफ्टवेयर का उपयोग करके कंप्यूटर द्वारा अकाउंट मैनेज करना चाहते है, लेकिन बिना अकाउंटिंग की बुनियादी जानकारी के यह करना आपके लिए बहुत कठिन होगा। इसलिए Accounting Terminology से संबंधित अकाउंटिंग करने के लिए जो मुख्य टर्म होती है, उसकी जानकारी इस आर्टिकल मे दी गई है।
Accounting Terminology (लेखांकन शब्दावली) –
1 – Business (व्यापार) – कोई भी व्यापारी व्यवसाय में धन कमाने के उददेश्य से माल या सर्विस का दूसरे व्यापारी या संस्था से आदान प्रदान करता है व्यापार कहलाता है।
2 – Financial Year (वित्तीय वर्ष) – यह व्यापार के 1 वर्ष के कार्यकाल को निर्धारित करता है, यह 1 अप्रैल से 31 मार्च तक डिफ़ॉल्ट पीरियड होता है। इस अवधि में सभी संस्थाएं अपने आर्थिक क्रियाकलापों को पूरा करती हैं।
3 – Proprietor (मालिक) – वह व्यक्ति जिसने कंपनी या व्यापार को खड़ा किया, जिसके पास व्यापार से जुड़े सभी अधिकार होते है तथा व्यापार के सभी जोखिम वहन करता है मालिक (Proprietor) कहलाता है।
4 – Capital (पूँजी) – कोई भी व्यवसाय को आरंम्भ करने के लिए कुछ निवेश की जरूरत होती है जिससे वह व्यापार मे प्रयोग की जाने वाली जरूरी संम्पत्तियाँ तथा माल खरीद सके, यही निवेश Capital या पूँजी कहलाता है। Capital मुख्यता दो प्रकार की होती है। 1) कर्ज पूँजी 2) जमा पूँजी।
5 – Transaction (सौदा) – दो या दो से अधिक व्यापारियों के बीच लाभ कमाने के उद्देश्य से माल या सर्विसेस को बेचना/खरीदना सौदा (Transaction) कहलाता है। यह दो प्रकार के होते है।
- Cash Transaction (नगद सौदा) – जो ट्रैन्ज़ैक्शन नगद किए जाते है उन्हे Cash Transaction कहा जाता है।
- Credit Transaction (उधार सौदा) – जो ट्रैन्ज़ैक्शन उधार किए जाते है उन्हे Credit Transaction कहा जाता है।
6 – Goods (माल) – माल को व्यापार में नियमित और मुख्य रूप से खरीदा और बेचा जाता हैं। उदाहरण के लिए – एक किराना दुकान में साबुन, तेल,चीनी आदि Goods हैं।
7 – Purchase (क्रय) – जब व्यापार मे किसी दूसरे व्यापारी (Supplier) से माल/सर्विस खरीदा जाता है क्रय कहलाता है।
8 – Sale (विक्रय) – जब व्यापार में किसी दूसरे व्यापारी (Customer) को माल/सर्विस बेचा जाता है विक्रय कहलाता है।
9 – Purchase Return (खरीदा माल वापस) – जब व्यापार मे खरीदा माल पार्टी (Supplier) को वापस लौटाया जाता है, Purchase Return कहलाता है
10 – Sales Return (बिका माल वापस) – जब व्यापार मे बिका माल पार्टी (Customer) के द्वारा वापस लौटाया जाता है, Sales Return कहलाता है
11 – Debtor (लेनदार) – जब व्यापार मे किसी व्यापारी (Customer) को उधार माल या सेर्विसेस बेची जाती है, तो ऐसे व्यापारी Debtor पार्टी कहलाती है ।
12 – Creditor (देनदार) – जब व्यापार मे किसी व्यापारी (Supplier) से उधार माल या सेर्विसेस खरीदी जाती है, तो ऐसे व्यापारी Creditor पार्टी कहलाती है ।
13 – Drawing (आहरण) – जब व्यापार मे मालिक द्वारा स्वयं खर्चे के लिए धन या माल की निकासी की जाती है, आहरण (Drawing) कहलाता है।
14 – Depreciation (ह्रास) – व्यापार मे संम्पत्तियो के इस्तेमाल होने से उनके मूल्यों मे आई गिरावट को ह्रास (Depreciation) कहा जाता है।
15 – Loan (ऋण) – व्यापार की जरूरतों को पूरा करने के लिए किसी बैंक या पार्टी से कर्ज लेना लोन कहलाता है। यह दो प्रकार के होते हैं-
- Secured Loan (सुरक्षित ऋण) – किसी संपत्ति को गिरवी रखकर लिया गया कर्ज Secured Loan कहलाता है। पार्टी के द्वारा लोन वापस न करने पर गिरवी रखी गई संपत्ति से भरपाई की जाती है।
- Unsecured Loan (असुरक्षित ऋण) – बिना किसी संपत्ति को गिरवी रखे, या व्यवहार में लिया गया कर्ज Unsecured Loan कहलाता है। पार्टी के द्वारा लोन वापस न करने पर भरपाई नहीं की जा सकती है, इसलिए इसे असुरक्षित ऋण कहते है।
16 – Liability (दाईत्व) – दाईत्व का अर्थ उस धनराशि या संपत्ति से है जिसकी एक निश्चित समय पर अदायगी करनी होती है। यह दो प्रकार के होते हैं।
- Current Liability (चालू दाईत्व) – इस प्रकार के दाईत्व की अदायगी कम समय में या 1 वर्ष के भीतर करनी होती है। Ex- Bank Over Draft, Tax Payable, Bill Payable etc.
- Fixed Liability (स्थाई दाईत्व) – इस प्रकार के दाईत्व लंबे समय के लिए या जिनकी अदायगी 1 वर्ष के बाद करनी होती है। Ex- Long Term Bank Loan, Debenture etc.
17 – Revenue (आय) – व्यापार में माल या सर्विस को बेचने पर जो Total Earning होती है Revenue कहते है।
18 – Income (आय) – आय का अर्थ उस धनराशि से है जो माल या सर्विस को बेचने पर प्राप्त होती है। Income मुख्य दो प्रकार की होती है।
- Direct Income (प्रत्यक्ष आय) – इस प्रकार की आय व्यापार के मुख्य श्रोतों से प्राप्त होती है। जैसे माल या सर्विस को बेचना।
- Indirect Income (अप्रत्यक्ष आय) – इस प्रकार कि आय व्यापार में अन्य श्रोतों से प्राप्त होती है। जैसे रद्दी पेपर, कोर्टन बॉक्स, स्क्रैप बेचना।
19 – Profit (लाभ) – जब आय खर्चों से अधिक होती है तो लाभ होता है। इसे दो भागों मे विभाजित किया जाता है –
- Gross profit (सकल लाभ) – Revenue मे से माल की कीमत और उन पर होने वाले प्रत्यक्ष खर्चों (Direct Expenses) को घटाने के पश्चात जो धनराशि शेष रहती है उसे सकल लाभ (Gross Profit) कहते है।
- Net Profit (शुद्ध लाभ) – कुल सकल लाभ (Gross Profit) मे से व्यापार के अन्य सभी अप्रत्यक्ष खर्चों (Indirect Expenses) को घटाने के पश्चात शेष बची धनराशि को Net Profit कहते है।
20 – Expenses (खर्चे) – खर्चो का अर्थ उस धनराशि से है जो माल को तैयार करने माल को बेचने माल को खरीदने तथा व्यापार को चलाने के लिए किए जाते है। खर्चे दो प्रकार के होते है ।
- Direct expenses (प्रत्यक्ष खर्चे) – इस प्रकार के खर्चे माल को खरीदने तथा माल को निर्मित करने से संबन्धित होते है। Ex- Fright Inward, Carriage Inward, Coal, Fuel etc .
- Indirect Expenses (अप्रत्यक्ष खर्चे) – इस प्रकार के खर्चे माल को बेचने तथा ऑफिस से संबन्धित होते है। Ex- Advertisement, Salaries, Stationaries, Repairing etc.
21 – Loss (हानि) – जब खर्चे आय से अधिक होते हैं तो हानि होती है। इसे दो भागों मे विभाजित किया जाता है –
- Gross Loss (सकल हानि) – प्रत्यक्ष खर्चों (Direct Expenses) मे से आय को घटाने के बाद की धनराशि सकल हानि (Gross loss ) कहलाती है
- Nett Loss (शुद्ध हानि) – सकल हानि (Gross Loss) मे अन्य खर्चों (Indirect Expenses) को जोड़ने के बाद की धनराशि को शुद्ध हानि (Net Loss) कहते है।
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22 – Stock (शेष माल) – Stock शब्द का अर्थ उस माल से है जो एक निश्चित अवधि तक शेष बच जाता है जिसे Opening तथा Closing Stock मे विभाजित किया जाता है
- Opening Stock (आरंभिक माल) – पिछले वर्ष का closing stock नए वर्ष की शुरुआत करने के लिए opening stock कहा जाता है ।
- Closing Stock (अंतिम माल) – वित्तीय वर्ष के पूर्ण हो जाने पर company closing करते समय बचा हुआ माल closing stock कहलाता है ।
23 – Opening Balance (आरंभिक जमा) – नए वर्ष में व्यापार को आरंभ करने के लिए जो Balance होता है, वह Opening Balance कहलाता है।
24 – Closing Balance (अंतिम जमा) – व्यापार में वित्तीय वर्ष के पूर्ण होने पर जो बैलेन्स शेष बचता है, Closing Balance कहलाता है।
25 – Assets (संपत्तियाँ) – संपत्तियाँ व्यापार की जरूरतों को पूरा करने के लिए इस्तेमाल में लाई जाती हैं। यह दो प्रकार की होती हैं।
- Current Assets (चल संपत्तियाँ) – इस प्रकार कि संपत्तियाँ व्यापार में बेचने के उद्देश्य से इस्तेमाल की जाती है, या वे संपत्तियाँ जो कम समय में कैश में बदली जा सकती है। Ex- Goods, Stock, Bank Cash, Bills etc.
- Fixed Assets (अचल संपत्तियाँ) – इस प्रकार कि संपत्तियाँ व्यापार में लंबे समय के लिए उपयोग में लाई जाती हैं। या जिन्हे बेचने के उद्देश्य से नहीं खरीदा जाता है। Ex- Land & buildings, Machinery, Furniture, Computer, Copyright, Patents etc.
26 – Provision (प्रावधान) – व्यापार मे इसका मतलब भविष्य मे होने वाले नुकसान की आपूर्ति करने के लिए जो धनराशि रिजर्व करते है, वे प्रावधान कहलाते है।
27 – Investment (निवेश/विनियोग) – निवेश (Investment) एक वस्तु, संपत्ति, उत्पाद या कोई अन्य संपत्ति हो सकती है जिसे भविष्य में आय उत्पन्न करने के लिए खरीदा या उपयोग किया जाता है। ईनवेस्टमेंट में किसी भी प्रकार की खरीद हो सकती है, जैसे स्टॉक, संपत्ति, व्यवसाय इत्यादि।
28 – Bank Over Draft (बैंक ओवरड्राफ्ट) – जब बैंक खाते से जमा धनराशि से अधिक धनराशि निकाली जाती है इसे बैंक ओवरड्राफ्ट कहते है
29 – Interest (ब्याज) – ब्याज एक ऐसा शुल्क है जो कर्ज के रूप में दी गई धनराशि पर अर्जित किया जाता है।
30 – Discount (छूट) – व्यापार मे ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए माल की बिक्री पर छूट दी जाती है, यानि माल को वास्तविक कीमत से कम मे बेचा जाता है। छूट दो प्रकार की होती है-
- Cash Discount (नगद छूट) – यह छूट विशेष तौर पर किसी ग्राहक को नगद खरीददारी पर दी जा सकती है, या निश्चित अवधि मे अदायगी करने पर।
- Trade Discount (व्यापारिक छूट) – यह छूट थोक मे माल की बिक्री पर दी जाती है, इस छूट को रजिस्टर मे रिकार्ड नहीं किया जाता है।
31 – Balance Sheet (आर्थिक चिठ्ठा) – बैलन्स शीट किसी कंपनी या व्यापार का वित्तीय विवरण होता है। इसे वित्तीय वर्ष के पूर्ण होने पर तैयार किया जाता है, जो व्यापार की कुल संपत्ति, लाभ-हानि, लायबिलिटी व ग्रोथ आदि को दर्शाता है।
निवेदन
दोस्तों, Basic Accounting Terminology के इस आर्टिकल मे आज आपने लेखांकन शब्दावली (Accounting Terminology) के बारे मे जाना। Tally Prime सीखने की सीरीज मे आगे आप आकाउंटिंग करने के नियमों (Accounting Rules) के बारे मे जानेंगे। अगर आपको हमारे द्वारा लिखी गई यह पोस्ट पसंद आई है, और आगे भी अपडेट्स पाना चाहते है तो हमारे Facebook Page पर हमसे जुड़े तथा इस पोस्ट को दोस्तों के साथ भी शेयर करें।
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