BIOS, इसका नाम तो आपने जरूर सुना होगा क्योंकि यह हर कंप्युटर/लैपटॉप मे बहोत महत्वपूर्ण पार्ट होता है। अगर आपके पास भी कंप्यूटर या लैपटॉप है, तो BIOS से संबंधित जानकारी आपको जरूर पता होनी चाहिए। आज हम आपको इस पोस्ट में BIOS क्या है तथा इसके कार्य क्या है, इसकी उपयोगिता कंप्यूटर मे कितनी जरूरी होती है यही बताने वाले है। दोस्तों आपसे एक रीक्वेस्ट है इस पोस्ट को पूरा पढ़िएगा। तो चलिए शुरू करते है।
BIOS क्या है?
BIOS का पूरा नाम बेसिक इनपुट आउट्पुट सिस्टम है.। यह एक फर्मवेयर प्रोग्राम होता है, जो हमारे कंप्यूटर या लैपटॉप के सर्किट बोर्ड पर एक रोम चिप मे लोड होता है। इसे Legacy भी कहा जाता है। जब हम अपना कंप्यूटर चालू करते हैं, तो BIOS ही पहला प्रोग्राम होता है जो स्टार्ट होता है। यह कंप्यूटर के स्टार्ट होने से पहले कंप्यूटर के सभी हार्डवेयर कि जांच, परीक्षण व पहचान करता है, तथा उन्हे कॉन्फ़िगर करता है। इसके बाद कंप्यूटर को स्टार्ट करने के लिए सिस्टम सॉफ्टवेयर को लोड करता है। BIOS द्वारा की जाने वाली इस पूरी प्रक्रिया को बूट (Boot) प्रोसेस कहा जाता है। इस प्रक्रिया को पूरा कम्प्लीट होने मे 2 से 3 सेकंड का समय लग सकता है।
UEFI क्या है?
कंप्यूटर सिस्टम में बूट प्रोसेस तथा सेटिंग के लिए BIOS तथा UEFI (Unified Extensible Firmware Interface) दो तरह के इंटरफ़ेस होते है। BIOS जिसे Legacy Boot Mode भी कहते है, यह CUI (Character User Interface) मोड मे होता है। जबकि UEFI बूट मोड GUI (Graphical User Interface) मोड मे होता है। दोनों का काम एक ही है। BIOS पुराना है तथा अभी भी कार्य मे लिया जाता है, जबकि UEFI नया ग्राफिकल इन्टरफेस है।
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BIOS काम कैसे करता है?
जब हम कंप्यूटर ऑन करने के लिए पॉवर बटन दबाते है, तो BIOS का काम यही से स्टार्ट होता है। यह सबसे पहले सिस्टम के सभी पार्ट्स जैसे मेमोरी, कीबोर्ड, माउस, हार्ड डिस्क, रैम आदि को टेस्ट व कॉन्फ़िगर करता है। अगर किसी भी पार्ट मे कोई प्रॉबलम है या पार्ट ही मिसिंग है, तो यह उसके बारे मे यह एक एरर मैसेज देता है जिससे यूजर को सिस्टम मे आई प्रॉब्लम का पता चल पाता है। ऐसे ही कई सारे कामन एरर मैसेज है जो BIOS द्वारा कंप्यूटर मे आई किसी समस्या के लिए प्रदर्शित किये जाते है जैसे –
- Invalid System Disk
- Boot Failure
- Hard Disk Error
- NT Boot Loader Missing
- Operating System Failure
- Disk Read Error
नीचे दिए गए चित्र मे हार्ड डिस्क एरर मैसेज देख सकते है, यह BIOS द्वारा डिस्प्ले किया गया है। इस एरर मे डिस्क मे कोई प्रॉबलम है, जिसे BIOS रीड नहीं कर पाया है। इसलिए कंप्यूटर अब यहाँ से आगे स्टार्ट नहीं हो पाएगा, क्योंकि ऑपरेटिंग सिस्टम हार्ड डिस्क मे लोड होती है और यहाँ डिस्क मे कोई एरर है। BIOS द्वारा दिए गए मैसेज से यूजर को ये पता लग जाता है कि सिस्टम मे प्रॉबलम कहाँ है, और वह क्या ठीक करे।

BIOS द्वारा हार्डवेयर टेस्टिंग मे अगर कोई एरर नहीं आती है, तो BIOS ऑपरेटिंग सिस्टम को Main Memory (रैम) मे लोड करने के लिए डिस्क का MBR(Master Boot Record) चेक करता है। जहां से NTLDR (Windows xp के लिए) या BootMgr (Windows 7 के लिए) फाइल रन करता है (अगर NTLDR फाइल मिसिंग है, तो BIOS एरर मैसेज देगा और विंडोज़ लोड नहीं हो पाएगी) NTLDR फाइल के ऐक्टिव होते ही Boot.ini तथा अन्य फ़ाइलें सिक्वेन्सली लोड होती है, और इस तरह से कंप्यूटर स्टार्ट हो पाता है।
BIOS द्वारा की जाने वाली इस पूर्ण प्रक्रिया को पोस्ट (POST) यानी Power On Self Test कहा जाता है। इसका मतलब कंप्यूटर स्टार्ट होते ही अपने आप टेस्टिंग करता है।
BIOS द्वारा सभी हार्डवेयर टेस्टिंग होने के बाद भी ऑपरेटिंग सिस्टम लोड ना हो पाने के और भी कारण हो सकते है, भले ही ऑपरेटिंग सिस्टम मे कोई एरर न हो, जैसे-
- BIOS की सेटिंग मे बूट ऑर्डर बदला गया है।
- हार्ड डिस्क से मदरबोर्ड तक डेटा या पावर केबल ढीले हैं।
- ड्राइव विफल हो गई है आदि।
BIOS क्यों जरूरी है?
एक सवाल जो बहोत से लोगों के मन मे होता है, मै भी ऐसा सोचता था जब कंप्यूटर पढ़ता था कि आखिर BIOS प्रोग्राम को हार्ड डिस्क के बजाय ROM मेमोरी मे ही क्यों स्टोर किया जाता है। अन्य सारे प्रोग्राम्स तो हार्ड डिस्क मे स्टोर रहते है। ऐसा इसलिए क्योंकि ROM मेमोरी कंप्यूटर के सर्किट बोर्ड पर लगी एक चिप है, जिसमे किया गया प्रोग्राम कभी डिलीट नहीं होता है। और BIOS इसलिए जरूरी है क्योंकि अगर कभी सिस्टम की हार्ड डिस्क बदलनी या फॉर्मैट करनी पड़ी, या नया ऑपरेटिंग सिस्टम इंस्टॉल करना हुआ तो BIOS भी डिलीट हो जाएगा। BIOS के बिना नहीं हम नहीं जान पाएंगे कि हमारे कंप्यूटर का कॉन्फ़िग्रेशन क्या है। BIOS न होने से माउस, कीबोर्ड कम करना बंद कर देंगे। हम देखते है कंप्यूटर के बंद होने पर भी डेट-टाइम सेट रहता है, यह भी BIOS/CMOS से ही संभव हो पाता है। हम बहोत सारी सेटिंग्स को BIOS से कर पाते है, जिसके लिए इसका प्रेजेंट होना बहुत जरूरी है।
BIOS सेटिंग क्या है?
BIOS सेटअप से आप कंप्यूटर मे ग्लोबली कई सारी सेटिंग व हार्डवेयर की जांच कर सकते है जैसे –
- BOOT Order बदल सकते है, इसका मतलब आप किस ड्राइव का उपयोग किस क्रमांक मे करना चाहते है। नया ऑपरेटिंग सिस्टम इंस्टॉल करने के लिए बूट ऑर्डर बदलने की जरूरत पड़ती है।
- USB पोर्ट, कीबोर्ड/माउस की सेटिंग
- हार्ड डिस्क पासवर्ड प्रोटेक्ट करना
- CPU से संबंधित सेटिंग्स करना
- पावर से संबंधित सेटिंग करना
- डेट टाइम सेटिंग करना
- विभिन्न कनेक्टेड डिवाइसेस की जांच करना आदि।
एक अनुभवहीन उपयोगकर्ता के लिए BIOS में सेटिंग्स बदलने की राय नहीं दी जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि यहाँ से की गई गलत सेटिंग से सिस्टम पूरा सिस्टम बिगड़ सकता है, फिर चाहे वह डेस्कटॉप हो या लैपटॉप। BIOS सेटअप को ओपन करने के लिए कंप्युटर के ऑन होते ही तुरंत Del या F2 या F10 या F12 कुंजी दबाने पर BIOS ओपन हो जाता है, कौन सी कुंजी दबानी है यह प्रोडक्ट के ब्रांड पर निर्भर करता है। इसके लिए प्रोडक्ट कि यूजर गाइड पढ़ना चाहिए।
Conclusion
दोस्तों मुझे उम्मीद है BIOS क्या है आप समझ गए होंगे, आपको यह पोस्ट कैसी लगी कॉमेंट बॉक्स मे जरूर बताइएगा। और भी ऐसी ही टेक व कंप्युटर एजुकेशन से संबंधित पोस्ट अपडेट के लिए आप techdatahindi.com से जुड़े रहे तथा Facebook, Twitter, Instagram तथा Telegram पर फॉलो करें।