Introduction to Computer के इस संस्करण मे आइए “Compute” शब्द से शुरू करें, जिसका अर्थ है “गणना” तथा “Computer” कंप्यूटर शब्द जिसका अर्थ है “गणना करने वाला”। यह लैटिन (Latin) भाषा के एक शब्द “Computare” से लिया गया है, जिसका अर्थ है “गणना करने के लिए” या “योग करने के लिए”। जैसा कि हम सभी अपने दैनिक जीवन में गणनाओं से परिचित हैं। हम सभी गणितीय संक्रियाएँ जैसे जोड़, घटाव, गुणा, भाग आदि करते रहते हैं। साधारण गणना में तो कम समय लगता है, लेकिन जटिल गणनाओं में अधिक समय लगता है। एक अन्य कारक गणना में सटीकता भी है, इसलिए मनुष्य ने एक ऐसी मशीन बनने कि खोज शुरू की, जो इस प्रकार की अंक गणितीय गणनाओं को पूरी सटीकता के साथ तेजी से कर सके, और इसी सोच ने “कंप्यूटर” नामक उपकरण या मशीन का आविष्कार किया।
कंप्यूटर क्या है (What is Computer)

कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक डाटा प्रोसेसिंग डिवाइस है। यह अंक गणितीय गणनाओं को तेजी से करने मे सक्षम है। एक सामान्य व्यक्ति के लिए कंप्यूटर एक गणना करने की डिवाइस है। लेकिन एक ऐसे व्यक्ति के लिए जो कंप्यूटर के बारे में बहुत कुछ जानता है, उसके लिए कंप्यूटर एक मशीन है जो मानव समस्या को हल करने और डाटा में हेराफेरी करने में सक्षम है।
“कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक डेटा प्रोसेसिंग मशीन है, जो उपयोगकर्ता से रॉ डेटा को इनपुट के रूप में लेता है और प्रोसेस करके आउटपुट के रूप में प्रदर्शित करता है। इन सभी कार्यों में कंप्यूटर कई डिवाइसों का उपयोग करता है; जैसे – कीबोर्ड, माउस, मॉनिटर, मेमोरी, प्रोसेसिंग यूनिट आदि”।
कंप्यूटर की फुल फॉर्म (Full Form of Computer)
Common Operating Machine Purposely Used for Technological and Educational Research
C | Common |
O | Operating |
M | Machine |
P | Purposely |
U | Use for |
T | Technological |
E | Educational |
R | Research |
कंप्यूटर के लक्षण (Attributes of Computer)
- गति (Speed) – कंप्यूटर प्रति सेकंड लाखों निर्देश निष्पादित कर सकता है। इससे हम कंप्यूटर की गति को माइक्रो सेकेंड (10-6) या नैनो सेकेंड (10-9) में निर्धारित कर सकते हैं।
- शुद्धता (Accuracy) – कंप्यूटर कोई भी गणना बिल्कुल सटीकता के साथ करता है। कंप्यूटर द्वारा प्रोसेस की गई किसी भी गणना मे कोई त्रुटि इनपुट किए गए मानवीय निर्देशों के कारण ही होती है।
- इंटेलिजेंस (Intelligence) – कंप्यूटर बिना थके पूर्ण एकाग्रता के साथ कई घंटों तक लगातार प्रोसेस करने मे सक्षम है। कंप्यूटर अपने सभी कार्य को सिस्टमैटिक तरीके से प्रोसेस करता है।
- बहुमुखी प्रतिभा (Versatility) – कंप्यूटर उपयोगकर्ता के कई कार्यों को एक ही समय मे एक साथ प्रोसेस कर सकता है।
- याद रखने की शक्ति (Power of Remembering) – कंप्यूटर में उपयोगकर्ता द्वारा किसी भी जानकारी को संग्रहीत करने की शक्ति होती है, तथा जरूरत पड़ने पर यह उपयोगकर्ता को पुनः उपलब्ध कराता है।
- स्फूर्ति (Agility) – कंप्युटर एक मशीन होने के कारण मानवीय दोषों से रहित है। इसे थकान, बोरियत महसूस नहीं होती, यह हर बार समान क्षमता के साथ कार्य करता है।
- भंडारण क्षमता (Storage Capacity) – कंप्यूटर में आंतरिक और वाह्य मेमोरी होती है वाह्य मेमोरी मे उपयोगकर्ता बड़ी मात्रा में डाटा स्टोर कर सकता है, जिसे वह कभी भी एक्सेस कर सकता है।
- गोपनीयता (Privacy) – कंप्यूटर मे उपयोगकर्ता अपने डाटा को पासवार्ड द्वारा गोपनीय रख सकता है।
कंप्यूटर की पीढ़ियाँ (Computer Generations)
आज कंप्यूटर ने हम सब के जन-जीवन को बदल दिया है, आज हम सब के लिए कंप्यूटर इतना जरूरी हो गया है कि इसे साथ मे रखना पसंद करते है, फिर वह चाहे स्मार्टफोन के रूप मे हो या लैपटॉप, नोटबुक, टैबलेट आदि। लेकिन क्या आप जानते है कंप्यूटर को इस स्तिथि मे लाने के लिए कितने बदलाव किए गए। इसके लिए कंप्युटरों को पाँच पीढ़ियों मे बांटा गया है।
पहली पीढ़ी (First Generation) – 1946 से 1955 तक

पहली पीढ़ी के कंप्यूटर ENIAC को 1946 में जॉन एकर्ट और जॉन मौचली द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका के पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान विकसित किया गया था। ENIAC का अविस्कार मुख्य रूप से अमेरिकी सरकार ने हाइड्रोजन बम बनाने मे गणनाओं को करने के लिए किया था, ताकि वह द्वितीय विश्व युद्ध को जीत सके तथा इसके लिए फंड भी जारी किया था। यह पहला प्रोग्रामेबल जनरल-पर्पस इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्युटर था। इसका पूरा नाम इलेक्ट्रॉनिक न्यूमेरिकल इंटीग्रेटर और कंप्युटर (Electronic Numeric Integrator and Computer) था। यह 30 से 80 फीट लंबा, वजन लगभग 30 टन, 18000 वैक्यूम ट्यूब, 70000 रजिस्टर्स, 6000 स्विचेस और 1500 रिले से युक्त था। यह कंप्युटर 174 KiloWatt एनर्जी उत्पन्न करता था इसलिए इसे चलाने के लिए AC की जरूरत होती थी। यह कंप्युटर प्रति सेकंड 5000 गणनाएं कर सकता था।
आज के कंप्यूटर ENIAC से कई गुना अधिक शक्तिशाली हैं, और आकार मे भी बहुत छोटे है। इस पीढ़ी के कुछ अन्य कंप्यूटर निम्नलिखित हैं।
- EDSAC – Electronic Delay Storage Automatic Computer. 1949 में विकसित किया गया।
- EDVAC – Electronic Discrete Variable Automatic Computer. 1950 में विकसित किया गया।
- UNIVAC – Universal Accounting Setup. 1951 में विकसित किया गया।
प्रथम पीढ़ी के कंप्युटरों सीमाएं
- ऑपरेटिंग गति धीमी होती थी।
- बिजली की खपत बहुत अधिक करते थे।
- इसे स्थापित करने के लिए बड़े स्थान की आवश्यकता होती थी।
- प्रोग्रामिंग क्षमता बहुत कम थी।
- एनर्जी अधिक उत्पन्न करते थे।
- ऑपरैट करने के लिए अधिक लोगों की आवश्यकता होती थी।
दूसरी पीढ़ी (Second Generation) – 1955 से 1964 तक

1955 में दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों की शुरुआत हुई। इस अवधि के कंप्यूटरों में ट्रांसिस्टर (Transistor) नामक कम्पोनेन्ट का इस्तेमाल हुआ। ट्रांसिस्टर ने पहली पीढ़ी के कंप्यूटरों इस्तेमाल होने वाले भारी इलेक्ट्रॉनिक वैक्यूम ट्यूबों को रिप्लेस कर दिया। ट्रांसिस्टर वैक्यूम ट्यूब से छोटे होते हैं और इनमे उच्च संचालन गति होती है, इसलिए दूसरी पीढ़ी के कंप्युटर प्रथम पीढ़ी की अपेक्षा छोटे और अधिक तेज हो गए। दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों मे सीपीयू, मेमोरी, प्रोग्रामिंग भाषा और इनपुट-आउटपुट इकाइयों की अवधारणा पेश की गई। दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों के उदाहरण – IBM 1620, IBM 7094, CDC 1604, CDC 3600, UNIVAC 1108.
तीसरी पीढ़ी (Third Generation) – 1964 से 1975 तक

तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर 1964 में पेश किए गए थे। इन कंप्यूटरों मे “एकीकृत सर्किट” (Integrated Circuit – IC) का इस्तेमाल किया गया। इन एकीकृत सर्किट (आई.सी) को चिप के रूप में भी जाना जाता है। यह सिलिकॉन की बनी होती है, एक अकेली IC मे कई ट्रांजिस्टर्स, रजिस्टर्स और कैपेसिटर्स की क्षमता होती है। इस पीरीअड में उच्च स्तरीय भाषा (High Level Language) की शुरुआत हुई, जिससे कंप्यूटरों की प्रोग्रामिंग क्षमता कई गुना बढ़ गई। इस पीढ़ी के कंप्यूटर आकार मे छोटे, सस्ते, बड़ी मेमोरी और प्रोसेसिंग स्पीड मे पिछली पीढ़ियों के तुलना मे बहुत तेज थे। इस पीढ़ी के कुछ कंप्यूटर हैं – IBM 360, ICL 1900, IBM 370, PDP-8 आदि।
चौथी पीढ़ी (Fourth Generation) – 1975 से 1990 तक

चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर हैं जो 1975 के आसपास शुरू हुए थे। इनमें माइक्रोप्रोसेसर का इस्तेमाल किया गया। माइक्रोप्रोसेसर चिप को LSIC (Large Scale Integration Circuit) तकनीक का इस्तेमाल करके Intel Corporation ने 4004 नाम से 1971 मे पेश किया था। बाद मे इसे VLSIC (Very Large Scale Integration Circuit) मे बदला गया। माइक्रोप्रोसेसर को सैकड़ों-हजारों ICs को असेम्बल करके बनाया जाता है। कंप्यूटर जो पहले एक बहुत बड़े कमरे में स्थापित होता था, माइक्रोप्रोसेसर के इस्तेमाल से अब उसे एक मेज पर रखा जाने लगा। इस पीढ़ी के कंप्यूटरों के उदाहरण – IBM 4341, DEC 10, STAR 1000, CRAY-1 (Super Computer) आदि।
पांचवीं पीढ़ी (Fifth Generation) – 1990 से अब तक

1990 के बाद के कंप्यूटर को पांचवीं पीढ़ी के कंप्यूटर कहा जाता है। इन कंप्युटर्स मे ULSIC (Ultra Large Scale Integration Circuit) का इस्तेमाल किया जाता है, इसलिए इन कंप्युटरों की गति बहुत अधिक है। इस पीढ़ी में कंप्यूटर को अपना निर्णय लेने की अनुमति देने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता की अवधारणा पेश की गई है। इस अवधि में रोबोटिक तकनीक, 3डी अवधारणा, विजुअल इफेक्ट्स पेश किए गए है। यह अभी भी विकास के चरण में है।
कंप्यूटर का इतिहास (History of Computer)
कंप्यूटर का इतिहास कई सदियों पहले शुरू हुआ। कंप्यूटर का विचार सरल कंप्यूटिंग मशीन जैसे- ABACUS, PASCALENE, NAPIOR BONE आदि से शुरू हुआ। आधुनिक बहुउद्देशीय कंप्यूटर को वर्तमान स्थिति में आने के लिए लगातार अनेकों संशोधनो का सामना करना पड़ा। कंप्यूटर के इतिहास में कुछ प्राचीन गणना उपकरणों के बारे मे बताया गया है, जो इस प्रकार हैं।
अबैकस (ABACUS)

ABACUS को चीनी लोगों द्वारा विकसित किया गया पहला यांत्रिक गणना उपकरण माना जाता है। इस डिवाइस का उपयोग गिनने, जोड़ और घटाव को से करने के लिए किया जाता था। ABACUS एक लकड़ी के फ्रेम, धातु की छड़ों और लकड़ी के मोतियों से बना होता था, जिसमें छड़ों को गोल मोतियों के साथ फिट किया जाता था। छड़ों मे फिट किए गए गोल मोतियों का उपयोग संख्याओं को गिनने, जोड़ और घटाव करने के लिए किया जाता था।
नेपियर बोन्स (Napier Bones)

जॉन नेपियर ने 1617 में “नेपियर बोन्स” नामक एक गणना उपकरण का आविष्कार किया था। यह एक बेहतर गणना करने वाला उपकरण था। इस उपकरण में हड्डी की छड़ों का उपयोग किया जाता था, जहां इन छड़ों पर गणना करने के लिए नंबर छपे होते थे। यह गणना करने वाला उपकरण गुणा और वर्गमूल कर सकता था।
पास्कलिन (Pascaline)

पास्कलिन नामक मैकेनिकल कैलकुलेटर का आविष्कार ब्लेज़ पास्कल (फ़्रांसीसी वैज्ञानिक) ने अपने पिता की गणना में मदद करने के लिए 1642 में किया था। यह मूल्यों को जोड़ और घटा सकता था। ब्लेज़ पास्कल को मैकेनिकल कैलकुलेटर का जनक कहा जाता है।
स्लाइड रूल (Slider Rule)

विलियम ओउट्रेड ने “स्लाइड रूल” को 17वीं शताब्दी मे विकसित किया था। यह विज्ञान और इंजीनियरिंग क्षेत्रों में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला गणना उपकरण था। इसके सरलतम रूप से गुणा की जाने वाली प्रत्येक संख्या को एक स्लाइडिंग रूलर पर एक लंबाई द्वारा दर्शाया जाता था। “स्लाइड रूल” से मुख्य रूप से गुणा और भाग करने के साथ वर्गमूल, जोड़ और घटाव जैसी गणनाएं भी की जा सकती थी।
लीबनिज़ कैलकुलेटर (Leibniz Calculator)

गॉट फ्रीड लिबनिज़ एक जर्मन गणितज्ञ ने 1673 में पास्कल कैलकुलेटर को संशोधित किया। उन्होंने लीबनिज़ कैलकुलेटर नामक एक मशीन विकसित की जो विभिन्न गणना आधारित गुणा और भाग भी कर सकती थी।
अंतर इंजन (Difference Engine)

एक अंतर इंजन एक स्वचालित यांत्रिक कैलकुलेटर था, जिसे बहुपद कार्यों (जोड़, घटाव, गुना, भाग) को सारणीबद्ध करने के लिए डिज़ाइन किया गया था। इस मशीन में दशमलव संख्या प्रणाली का उपयोग किया गया था और एक हैंडल को क्रैंक करके संचालित किया गया था। इसे 1820 के दशक में चार्ल्स बैबेज ने डिजाइन किया गया था।
विश्लेषणात्मक इंजन (Analytical Engine)

इंग्लैंड के एक वैज्ञानिक चार्ल्स बैबेज ने 1837 में विश्लेषणात्मक इंजन (Analytical Engine) का आविष्कार किया था। यह सबसे आधुनिक यांत्रिक कंप्युटर था, जो सभी प्रकार की सामान्य व जटिल गणनाओं को हल करने मे सक्षम था। इस मशीन को चार घटकों से मिलकर बनाया गया था मिल, स्टोर, रीडर और प्रिंटर। ये सभी घटक आज आधुनिक कंप्यूटर के आवश्यक घटक हैं। मिल एक आधुनिक कंप्यूटर में सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (सीपीयू) के अनुरूप गणना करने वाली इकाई थी। स्टोर वह जगह थी जहां डेटा को प्रोसेसिंग से पहले रखा जाता था, जिसे आज के कंप्यूटरों में मेमोरी और स्टोरेज यूनिट के नाम से जानते हैं। रीडर और प्रिंटर ये घटक आज आधुनिक कंप्यूटर मे इनपुट और आउटपुट यूनिट के रूप मे जाने जाते है। चार्ल्स बैबेज द्वारा बनाया गया यह एनालिटिकल इंजन सबसे आधुनिक स्वचालित यांत्रिक कंप्यूटर था, इसे चलाने के लिए भाप इंजन की आवश्यकता होती थी। बैबेज इस यांत्रिक कंप्युटर को और अधिक आधुनिक बनाना चाहते थे, लेकिन वो ऐसा नहीं कर पाए क्योंकि तब तक उनकी डेथ हो चुकी थी। इससे पहले किसी ने भी इस तरह के कंप्युटर को बनाने के बारे मे सोचा भी नहीं था। आज चार्ल्स बैबेज को कंप्यूटर के पिता के रूप में भी जाना जाता है।
मैकेनिकल कैलकुलेटर (Mechanical Calculator)

एक मैकेनिकल कंप्यूटर लीवर, गियर, और खाँचेदार पहियों से बना होता था। इसका उपयोग अंकगणित के बुनियादी कार्यों को स्वचालित रूप से करने के लिए किया जाता था। 1960 के दशक तक मैकेनिकल कंप्यूटर का उपयोग जारी रखा गया, लेकिन जल्द ही इलेक्ट्रॉनिक कैलकुलेटर के प्रचलन से ये इस्तेमाल होने बंद हो गए।
इलेक्ट्रॉनिक कैलकुलेटर (Electronic Calculator)

एक इलेक्ट्रॉनिक कैलकुलेटर सामान्य रूप से एक पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होता है जिसका उपयोग साधारण व जटिल गणनाओं को करने के लिए किया जाता है । पहला सॉलिड-स्टेट इलेक्ट्रॉनिक कैलकुलेटर 1960 के दशक की शुरुआत में बनाया गया था। पॉकेट-आकार वाले कैलकुलेटर 1970 के दशक के आसपास विकसित हुए, जब इंटेल कंपनी ने 4004 नाम से पहला माइक्रोप्रोसेसर बनाया था। 4004 माइक्रोप्रोसेसर इंटेल कंपनी द्वारा जापानी कैलकुलेटर कंपनी Busicom के लिए विकसित किया गया था ।
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कंप्यूटर के प्रकार (Types of Computer)
कार्य के आधार पर कंप्यूटर का वर्गीकरण निम्न प्रकार है।

एनालॉग कंप्यूटर (Analog Computer)
एनालॉग कंप्यूटर विशेष प्रकार के कंप्यूटर होते हैं। ये तापमान, दाब, गति या विद्युत प्रवाह जैसे विशेष संकेतों के आधार पर काम करते हैं। इन्हे हर काम के लिए अलग-अलग डेटा की जरूरत होती है। एनालॉग कंप्यूटर के उदाहरण- स्पीडो मीटर, एनालॉग वॉच और थर्मोमीटर आदि हैं।
डिजिटल कंप्यूटर (Digital Computer)
डिजिटल कंप्यूटर अंकों में सभी डेटा का प्रतिनिधित्व करता है। ये कंप्यूटर 0 और 1 अंकों का उपयोग करके सभी क्रियाएं करते हैं, यही इनकी भाषा होती है जिसे बाइनरी कहा जाता है। इन कंप्यूटरों मे इनपुट-आउट्पुट यूनिट होते हैं, जिनकी मदद से डाटा को इनपुट व प्राप्त किया जाता है। डिजिटल कंप्यूटर चार प्रकार के होते हैं।
- माइक्रो कंप्यूटर (Micro Computer) – वे सभी कंप्यूटर जो माइक्रोप्रोसेसर को मुख्य घटक के रूप में उपयोग करते हैं, माइक्रो कंप्यूटर कहलाते हैं। पर्सनल डेस्कटॉप कंप्यूटर, लैपटॉप, नोटबुक, टैबलेट, पी.डी.ए और स्मार्टफोन सभी माइक्रो कंप्यूटर के उदाहरण हैं।
- मिनी कंप्यूटर (Mini Computer) – मिनी कंप्यूटर, माइक्रो कंप्यूटर की तुलना में महगें होते हैं तथा इसकी प्रोसेसिंग स्पीड माइक्रो कंप्युटर से अधिक होती है। ये कंप्यूटर प्रायः टाइम शेयरिंग और डिस्ट्रिब्यूटेड डाटा प्रोसेसिंग मे उपयोग किए जाते हैं।
- मेनफ्रेम कंप्यूटर (Mainframe Computer) – मेनफ्रेम कंप्यूटर की प्रोसेसिंग स्पीड मिनी कंप्यूटर से भी कई गुना अधिक होती है। ये मल्टी-प्रोसेसिंग व मल्टी यूजर वातावरण के लिए बनाए जाते हैं, इसलिए इनका उपयोग कंप्यूटर नेटवर्क में सर्वर के रूप में किया जाता है। इनकी स्टोरेज कैपेसिटी और प्रोसेसिंग स्पीड बहुत अधिक होती है।
- सुपर कंप्यूटर (Super Computer) – सुपर कंप्यूटर की प्रोसेसिंग स्पीड अन्य कंप्यूटरों की तुलना में सबसे अधिक होती है। इसका उपयोग नई खोज और अत्यधिक जटिल गणनाओं को हल करने के लिए किया जाता है। इनमे मल्टी -प्रोसेसिंग स्पीड काफी फास्ट होती है, इसलिए ये सबसे पावरफुल कंप्यूटर होते हैं। इनका प्रयोग विशेष तौर पर मिसाइल लॉन्चिंग, मौसम का पूर्वानुमान तथा उपग्रह प्रक्षेपण, वैज्ञानिकी अनुसंधान, स्पेस स्टेशनों जैसे क्षेत्रों मे विशेष कार्यों के लिए किया जाता है। भारतीय परम (PARAM) और आईबीएम के ब्लू ज़ेन (Blue Gene) सुपर कंप्यूटर के उदाहरण हैं।
हाईब्रिड कंप्यूटर (Hybrid Computer)
हाइब्रिड कंप्यूटर एनालॉग और डिजिटल दोनों प्रकार के कंप्यूटरों के गुणों से मिलकर बने होते हैं। जैसे- पेट्रोल पंप मशीनें, एटीएम मशीनें और एयरोप्लेन कंप्यूटर आदि सभी हाइब्रिड कंप्यूटर के उदाहरण हैं।
आईटी गैजेट्स और उनके अनुप्रयोग (IT Gadgets and their Application)
कंप्यूटर प्रौद्योगिकी नई तकनीक और गैजेट विकसित करती रही है। यह तकनीक हमारे काम को आसान और तेज़ बनाती है। गैजेट एक छोटा डिवाइस या मशीन है, जिसका उपयोग किसी विशेष कार्य के लिए किया जाता है। कुछ लेटेस्ट IT gadgets जैसे की Smart Watch, Laptop & Notebook, PDAs, Drone camera, Camera Pen, Google Glass, Tablet आदि निम्नलिखित हैं।
- Smart Watch – एक स्मार्टवाच अप्लीकेशन और सभी तरह के डिजिटल मीडिया को चला सकती है, जैसे गाने या ब्लूटूथ हेडफोन पर रेडियो स्ट्रीमिंग आदि। इनमे से अनके घड़ियां टच स्क्रीन होती हैं। जो कि हमे कलकुलेटर,थर्मामीटर, कम्पास, SpO2 मॉनिटरिंग, ऐक्टिविटी मॉनिटरिंग आदि कार्यो को करने की सुविधा प्रदान करतीं हैं।
- Laptop and Notebook – लैपटॉप या नोटबुक एक बेहद हल्का पर्सनल कंप्यूटर होता है। दोनों मे विशेष अंतर नहीं होता है, लैपटॉप नोटबुक की तुलना मे साइज़ मे कुछ बड़े होते है। लैपटॉप से या नोटबुक से हम वह सारे काम कर सकते हैं जो एक डेस्कटॉप कंप्यूटर पर कर पाते है। इसे हम आसानी से अपने बैग मे कैरी करके कहीं भी ले जा सकते है जिससे हम अपने डिजिटल कार्य को कहीं पर भी कर सकते है।
- PDAs (Personal Digital Assistants) – यह एक हैन्ड हेल्ड कंप्यूटर डिवाइस है जो कान्टैक्ट, अपॉइनमेंट, फाइलस और प्रोग्राम्स जैसी जानकारी को याद रखने मे बहुत काम आता है। PDAs मे सेट की गई जानकारी से टाइम पर रिमाइंडर भी प्राप्त किए जाते है। PDA को Palmtop, Hand-Held Computer या Pockets Computer के रूप में भी जाना जाता है।
- Drone Camera – ड्रोन हेलिकॉप्टर की तरह एक उड़ने वाला डिवाइस होता है इसमे कमेरे फिट होते है, जो ऊंचाई से तस्वीरों या विडिओ को रिकार्ड करते है। ड्रोन को रीमोट कंट्रोल की मदद से कंट्रोल किया जाता है। एक ड्रोन अतिरिक्त उपकरणों से लैस हो सकता है जिसमे GPS, गाइडेड मिसाइल, ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS), नेविगेशन सिस्टम, सेंसर आदि शामिल हो सकते हैं।
- Pen with Camera – यह एक स्पाई पेन की तरह होता है इसमे डिजिटल कैमरा छुपा होता है। इस पेन की मदद से गुप्त तरीके से फोटो या वीडियो को रिकार्ड किया जा सकता है। इस पेन को शर्ट की जेब में भी रख सकते हैं।
- Tablet – टैबलेट एक वायरलेस, पोर्टेबल पर्सनल कंप्यूटर है जिसमे टच स्क्रीन इंटरफ़ेस होता है। टैबलेट आमतौर पर नोटबुक कंप्यूटर से छोटा होता है। इसका उपयोग मीडिया स्ट्रीमिंग या आर्ट डिज़ाइनिंग के लिए किया जाता है। इसमे एक पेन होता है जिसकी मदद से फोटो एडिट या कोई डिजाइन बना सकते है।
- Google Glass– गूगल ग्लास एक डिवाइस है, जिसे चश्मा के रूप में पहना जाता है। गूगल चश्मा हाथों से मुक्त स्मार्टफोन के रूप में कार्य करता है, जिससे उपयोगकर्ता मोबाइल, इंटरनेट ब्राउज़र, कैमरा, मैप्स, कैलेंडर और अन्य ऐप्स को वॉइस कमांड द्वारा एक्सेस कर सकते हैं।
कंप्यूटर के बेसिक ऑपरेशन (Basic Operation of Computer)
एक कंप्यूटर अल्फ़ान्यूमेरिक डेटा, ध्वनि और ग्राफिक्स आदि को प्रोसेस कर सकता है। यह अत्यधिक जटिल समस्याओं को जल्दी और सटीक रूप से हल कर सकता है। जैसा कि चित्र में दिखाया गया है, एक कंप्यूटर मूल रूप से निम्नलिखित पाँच प्रमुख ऑपरेशन करता है।
- डेटा और सूचना को स्वीकार करना।
- निर्देशों को नियंत्रित करना।
- डाटा को स्टोर करना।
- यूजर के अनुसार डाटा को प्रोसेस करना।
- प्रोसेस डेटा को आउटपुट करना।

इनपुट यूनिट (Input Unit) – इनपुट यूनिट की मदद से कंप्यूटर मे डाटा व निर्देश इनपुट किए जाते हैं, इसके लिए विभिन्न इनपुट डिवाइसेस का इस्तेमाल किया जाता है जैसे – कीबोर्ड, माउस, टचपैड, टच स्क्रीन आदि
सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (C.P.U.)

CPU किसी भी कंप्युटर का मुख्य भाग होता है। जैसे मानव शरीर में सोच, क्रिया और शरीर को नियंत्रित करने से संबंधित सभी कार्य मस्तिष्क के माध्यम से होते हैं, वैसे ही कंप्यूटर सिस्टम में सभी कार्य सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (CPU) द्वारा नियंत्रित व प्रोसेस किए जाते हैं। एक माइक्रो कंप्यूटर सिस्टम में, सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट या जिसे प्रोसेसर कहा जाता है, एक चिप के रूप में जुड़ा होता है जिसे माइक्रोप्रोसेसर कहा जाता है। माइक्रोप्रोसेसर कंप्यूटर का दिमाग है। प्रोसेसिंग से संबंधित सभी ऑपरेशन सीपीयू द्वारा किए जाते हैं जैसे गणितीय गणनाएं, तार्किक क्रियाएं आदि।
कंट्रोल यूनिट (Control Unit) – डट व निर्देशों तथा सभी इनपुट/आउटपुट डिवाइसेस को कंट्रोल यूनिट द्वारा कंट्रोल किया जाता है।
अरिथमेटिक लॉजिक यूनिट (ALU) – गणितीय डेटा की वास्तविक प्रोसेसिंग अरिथमेटिक लॉजिक यूनिट द्वारा की जाती है। जैसे- जोड़, घटाव, गुणा, भाग, तर्क और तुलना आदि।
मेमोरी यूनिट (Memory Unit) – प्रोसेसिंग होने तक डेटा और निर्देशों को सहेजने की प्रक्रिया मेमोरी यूनिट के द्वारा की जाती है।
आउटपुट यूनिट (Output Unit) – आउटपुट यूनिट का कार्य प्रोसेस किये गए डाटा को आउटपुट डिवाइसेस जैसे- मॉनिटर, प्रिंटर, स्पीकर, आदि के माध्यम से आउट्पुट कराना है।
अंतिम शब्द (Final Words)
दोस्तों मुझे उम्मीद है Introduction to Computer का यह संस्करण आप सभी के लिए इन्फार्मेटिव रहा होगा, Introduction to Computer से संबंधित यह पोस्ट किसी भी कंप्यूटर परीक्षा मे आपकी जरूर मदद करेगी। हमारी आप सब रीडर के लिए कोशिश यही है कि टेक व कंप्यूटर से जुड़े कंटेन्ट आपको अपनी मात्रभाषा हिन्दी मे उपलब्ध कराएं। अगर आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया हो तो अपनी प्रतिक्रिया कमेन्ट बॉक्स मे जरूर दें।
Thanks..
nice post