Computer Introduction की शुरुआत आइए “Compute” शब्द से शुरू करें, जिसका अर्थ है “गणना” तथा “Computer” कंप्यूटर शब्द जिसका अर्थ है “गणना करने वाला”। यह लैटिन (Latin) भाषा के एक शब्द “Computare” से लिया गया है, जिसका अर्थ है “गणना करने के लिए” या “योग करने के लिए”। जैसा कि हम सभी अपने दैनिक जीवन में गणनाओं से परिचित हैं। हम सभी गणितीय संक्रियाएँ जैसे जोड़, घटाव, गुणा, भाग आदि करते रहते हैं। साधारण गणना में तो कम समय लगता है, लेकिन जटिल गणनाओं में अधिक समय लगता है। एक अन्य कारक गणना में सटीकता भी है, इसलिए मनुष्य ने एक ऐसी मशीन बनने कि खोज शुरू की, जो इस प्रकार की अंक गणितीय गणनाओं को पूरी सटीकता के साथ तेजी से कर सके, और इसी सोच ने “कंप्यूटर” नामक उपकरण या मशीन का आविष्कार किया।
What is Computer?
कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक डाटा प्रोसेसिंग डिवाइस है। यह अंक गणितीय गणनाओं को तेजी से करने मे सक्षम है। एक सामान्य व्यक्ति के लिए कंप्यूटर एक गणना करने की डिवाइस है। लेकिन एक ऐसे व्यक्ति के लिए जो कंप्यूटर के बारे में बहुत कुछ जानता है, उसके लिए कंप्यूटर एक मशीन है जो मानव समस्या को हल करने और डाटा में हेराफेरी करने में सक्षम है।
“कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक डेटा प्रोसेसिंग मशीन है, जो उपयोगकर्ता से रॉ डेटा को इनपुट के रूप में लेता है और प्रोसेस करके आउटपुट के रूप में प्रदर्शित करता है। इन सभी कार्यों में कंप्यूटर कई डिवाइसों का उपयोग करता है; जैसे – कीबोर्ड, माउस, मॉनिटर, मेमोरी, प्रोसेसिंग यूनिट आदि”।
Full Form of Computer?
Common Operating Machine Purposely Used for Technological and Educational Research
C | Common | सामान्य |
O | Operating | परिचालन |
M | Machine | यंत्र |
P | Purposely | उद्देश्य |
U | Used for | प्रयोग |
T | Technological | तकनीकी |
E | Educational | शिक्षा |
R | Research | खोज |
Main Parts of Computer
- CPU Machine – यह मुख्य प्रोसेसिंग मशीन है, जिससे सभी डिवाइसेस जुड़ी होती हैं।
- Monitor – इसकी मदद से स्क्रीन पर प्रोसेस हो रहे कार्य को देखा जा सकता है।
- Keyboard – यह एक टायपिंग डिवाइस है, इसकी मदद से कंप्यूटर में कुछ भी टाइप किया जा सकता है।
- Mouse – यह एक पोइंटिंग डिवाइस है, इसका उपयोग कंप्यूटर को ऑपरैट करने तथा डिजाइन बनाने के लिए किया जाता है।
Characteristics of Computer
कंप्यूटर डिवाइस की कई सारी खूबियाँ होती है, इसमे से कुछ के बारे मे नीचे बताया गया है।
- Speed (गति) – कंप्यूटर एक बहुत फास्ट डिजिटल डाटा प्रोसेसिंग मशीन है, यह माइक्रो (106) या नैनो सेकेंड में लाखों निर्देश प्रोसेस कर सकता है।
- Accuracy (शुद्धता) – कंप्यूटर सभी सरल और जटिल गणनाएं 100% सटीकता के साथ कर प्रोसेस करता है।
- Diligence (लगन) – कंप्यूटर एक ही स्थिरता और सटीकता के साथ कई कार्य या गणना कर सकता है। यह थकान या एकाग्रता की कमी महसूस नहीं करता है।
- Intelligence (इंटेलिजेंस) – कंप्यूटर मैन्युअल हस्तक्षेप के बिना क्रियाओं को स्वचालित रूप से निष्पादित कर सकता है।
- Reliability (विश्वसनीयता) – एक कंप्यूटर बहुत विश्वसनीय होता है क्योंकि यह डेटा के समान सेट के लिए लगातार परिणाम देता है।
- Versatility (बहुमुखी प्रतिभा) – कंप्यूटर को लगभग हर क्षेत्र में इस्तेमाल किया जा सकता है, यह पूर्ण सटीकता के साथ एक से अधिक कार्यों को एक साथ कर सकता है।
- No feeling (भावना रहित) – कंप्यूटर एक भावना रहित डिवाइस है, यानि इसे ज्ञान या अनुभव की आवश्यकता नहीं है।
- Storage Capacity (स्टोरेज क्षमता) – कंप्यूटर मेमोरी में बड़ी मात्रा में डेटा स्टोर किया जा सकता है, तथा उसे कभी भी पुनः प्राप्त भी किया जा सकता है।
History of Computer
कंप्यूटर का इतिहास कई सदियों पहले शुरू हुआ था। कंप्यूटर का विचार सरल कंप्यूटिंग मशीन जैसे- ABACUS, PASCALENE, NAPIOR BONE आदि से शुरू हुआ। कंप्यूटर के इतिहास में कुछ प्राचीन गणना उपकरणों के बारे मे बताया गया है, जो इस प्रकार हैं।
ABACUS
ABACUS को चीनी लोगों द्वारा विकसित किया गया पहला यांत्रिक गणना उपकरण माना जाता है। इस डिवाइस का उपयोग गिनने, जोड़ और घटाव को से करने के लिए किया जाता था। ABACUS एक लकड़ी के फ्रेम, धातु की छड़ों और लकड़ी के मोतियों से बना होता था, जिसमें छड़ों को गोल मोतियों के साथ फिट किया जाता था। छड़ों मे फिट किए गए गोल मोतियों का उपयोग संख्याओं को गिनने, जोड़ और घटाव करने के लिए किया जाता था।
Napier Bones
जॉन नेपियर ने 1617 में “नेपियर बोन्स” नामक एक गणना उपकरण का आविष्कार किया था। यह एक बेहतर गणना करने वाला उपकरण था। इस उपकरण में हड्डी की छड़ों का उपयोग किया जाता था, जहां इन छड़ों पर गणना करने के लिए नंबर छपे होते थे। यह गणना करने वाला उपकरण गुणा और वर्गमूल कर सकता था।
Slide Ruler
विलियम ओउट्रेड ने “स्लाइड रूल” को 17वीं शताब्दी मे विकसित किया था। यह विज्ञान और इंजीनियरिंग क्षेत्रों में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला गणना उपकरण था। इसके सरलतम रूप से गुणा की जाने वाली प्रत्येक संख्या को एक स्लाइडिंग रूलर पर एक लंबाई द्वारा दर्शाया जाता था। “स्लाइड रूल” से मुख्य रूप से गुणा और भाग करने के साथ वर्गमूल, जोड़ और घटाव जैसी गणनाएं भी की जा सकती थी।
Pascaline
पास्कलिन नामक मैकेनिकल कैलकुलेटर का आविष्कार ब्लेज़ पास्कल (फ़्रांसीसी वैज्ञानिक) ने अपने पिता की गणना में मदद करने के लिए 1642 में किया था। यह मूल्यों को जोड़ और घटा सकता था। ब्लेज़ पास्कल को मैकेनिकल कैलकुलेटर का जनक कहा जाता है।
The Leibniz Calculator
गॉट फ्रीड लिबनिज़ एक जर्मन गणितज्ञ ने 1673 में पास्कल कैलकुलेटर को संशोधित किया। उन्होंने लीबनिज़ कैलकुलेटर नामक एक मशीन विकसित की जो विभिन्न गणना आधारित गुणा और भाग भी कर सकती थी।
Difference Engine
डिफरेन्स इंजन (Difference Engine) एक स्वचालित यांत्रिक कैलकुलेटर था, जिसे बहुपद कार्यों (जोड़, घटाव, गुना, भाग) को सारणीबद्ध करने के लिए डिज़ाइन किया गया था। इस मशीन में दशमलव संख्या प्रणाली का उपयोग किया गया था और एक हैंडल को क्रैंक करके संचालित किया गया था। इसे 1820 के दशक में चार्ल्स बैबेज ने डिजाइन किया गया था।
Analytical Engine
इंग्लैंड के एक वैज्ञानिक चार्ल्स बैबेज ने 1837 में विश्लेषणात्मक इंजन (Analytical Engine) का आविष्कार किया था। यह सबसे आधुनिक यांत्रिक कंप्युटर था, जो सभी प्रकार की सामान्य व जटिल गणनाओं को हल करने मे सक्षम था। इस मशीन को चार घटकों से मिलकर बनाया गया था मिल, स्टोर, रीडर और प्रिंटर। ये सभी घटक आज आधुनिक कंप्यूटर के आवश्यक घटक हैं। मिल एक आधुनिक कंप्यूटर में सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (सीपीयू) के अनुरूप गणना करने वाली इकाई थी। स्टोर वह जगह थी जहां डेटा को प्रोसेसिंग से पहले रखा जाता था, जिसे आज के कंप्यूटरों में मेमोरी और स्टोरेज यूनिट के नाम से जानते हैं। रीडर और प्रिंटर ये घटक आज आधुनिक कंप्यूटर मे इनपुट और आउटपुट यूनिट के रूप मे जाने जाते है। चार्ल्स बैबेज द्वारा बनाया गया यह एनालिटिकल इंजन सबसे आधुनिक स्वचालित यांत्रिक कंप्यूटर था, इसे चलाने के लिए भाप इंजन की आवश्यकता होती थी। बैबेज इस यांत्रिक कंप्युटर को और अधिक आधुनिक बनाना चाहते थे, लेकिन वो ऐसा नहीं कर पाए क्योंकि तब तक उनकी डेथ हो चुकी थी। इससे पहले किसी ने भी इस तरह के कंप्युटर को बनाने के बारे मे सोचा भी नहीं था। आज चार्ल्स बैबेज को कंप्यूटर के पिता के रूप में भी जाना जाता है।
Mechanical Calculator
एक मैकेनिकल कंप्यूटर लीवर, गियर, और खाँचेदार पहियों से बना होता था। इसका उपयोग अंकगणित के बुनियादी कार्यों को स्वचालित रूप से करने के लिए किया जाता था। 1960 के दशक तक मैकेनिकल कंप्यूटर का उपयोग जारी रखा गया, लेकिन जल्द ही इलेक्ट्रॉनिक कैलकुलेटर के प्रचलन से ये इस्तेमाल होने बंद हो गए।
Electronic Calculator
एक इलेक्ट्रॉनिक कैलकुलेटर सामान्य रूप से एक पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होता है जिसका उपयोग साधारण व जटिल गणनाओं को करने के लिए किया जाता है । पहला सॉलिड-स्टेट इलेक्ट्रॉनिक कैलकुलेटर 1960 के दशक की शुरुआत में बनाया गया था। पॉकेट-आकार वाले कैलकुलेटर 1970 के दशक के आसपास विकसित हुए, जब इंटेल कंपनी ने 4004 नाम से पहला माइक्रोप्रोसेसर बनाया था। 4004 माइक्रोप्रोसेसर इंटेल कंपनी द्वारा जापानी कैलकुलेटर कंपनी Busicom के लिए विकसित किया गया था ।
Generations of Computer
पहली बार जब डिजिटल कंप्यूटर का अविस्कार किया गया, तब से लेकर आज तक कंप्यूटरों मे कई बदलाव व संशोधन होते रहे हैं। इन बदलावों को विभिन्न पीढ़ियों मे बांटा गया है जो इस प्रकार है।
First Generation – 1946 To 1955
पहली पीढ़ी के कंप्यूटर ENIAC (Electronic Numeric Integrator and Computer) को 1946 में जॉन एकर्ट और जॉन मौचली द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका के पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान विकसित किया गया था। यह पहला प्रोग्रामेबल जनरल-पर्पस इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्युटर था। यह 30 से 80 फीट लंबा, वजन लगभग 30 टन, 18000 वैक्यूम ट्यूब, 70000 रजिस्टर्स, 6000 स्विचेस और 1500 रिले से युक्त था। यह कंप्युटर 174 KiloWatt एनर्जी उत्पन्न करता था इसलिए इसे चलाने के लिए AC की जरूरत होती थी। यह कंप्युटर प्रति सेकंड 5000 गणनाएं कर सकता था।
इस पीढ़ी के कुछ अन्य कंप्यूटर निम्नलिखित हैं।
- EDSAC – Electronic Delay Storage Automatic Computer. 1949 में विकसित किया गया।
- EDVAC – Electronic Discrete Variable Automatic Computer. 1950 में विकसित किया गया।
- UNIVAC – Universal Accounting Setup. 1951 में विकसित किया गया।
प्रथम पीढ़ी के कंप्युटरों सीमाएं
- ऑपरेटिंग गति धीमी होती थी।
- बिजली की खपत बहुत अधिक करते थे।
- इसे स्थापित करने के लिए बड़े स्थान की आवश्यकता होती थी।
- प्रोग्रामिंग क्षमता बहुत कम थी।
- एनर्जी अधिक उत्पन्न करते थे।
- ऑपरैट करने के लिए अधिक लोगों की आवश्यकता होती थी।
Second Generation – 1955 To 1964
1955 में दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों की शुरुआत हुई। इस अवधि के कंप्यूटरों में ट्रांसिस्टर (Transistor) नामक कम्पोनेन्ट का इस्तेमाल हुआ। ट्रांसिस्टर ने पहली पीढ़ी के कंप्यूटरों इस्तेमाल होने वाले भारी इलेक्ट्रॉनिक वैक्यूम ट्यूबों को रिप्लेस कर दिया। ट्रांसिस्टर वैक्यूम ट्यूब से छोटे होते हैं और इनमे उच्च संचालन गति होती है, इसलिए दूसरी पीढ़ी के कंप्युटर प्रथम पीढ़ी की अपेक्षा छोटे और अधिक तेज हो गए। दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों मे सीपीयू, मेमोरी, प्रोग्रामिंग भाषा और इनपुट-आउटपुट इकाइयों की अवधारणा पेश की गई। दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों के उदाहरण – IBM 1620, IBM 7094, CDC 1604, CDC 3600, UNIVAC 1108.
Third Generation – 1964 To 1975
तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर 1964 में पेश किए गए थे। इन कंप्यूटरों मे “एकीकृत सर्किट” (Integrated Circuit – IC) का इस्तेमाल किया गया। इन एकीकृत सर्किट (आई.सी) को चिप के रूप में भी जाना जाता है। यह सिलिकॉन की बनी होती है, एक अकेली IC मे कई ट्रांजिस्टर्स, रजिस्टर्स और कैपेसिटर्स की क्षमता होती है। इस पीरीअड में उच्च स्तरीय भाषा (High Level Language) की शुरुआत हुई, जिससे कंप्यूटरों की प्रोग्रामिंग क्षमता कई गुना बढ़ गई। इस पीढ़ी के कंप्यूटर आकार मे छोटे, सस्ते, बड़ी मेमोरी और प्रोसेसिंग स्पीड मे पिछली पीढ़ियों के तुलना मे बहुत तेज थे। इस पीढ़ी के कुछ कंप्यूटर हैं – IBM 360, ICL 1900, IBM 370, PDP-8 आदि।
Fourth Generation – 1975 To 1990
चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर हैं जो 1975 के आसपास शुरू हुए थे। इनमें माइक्रोप्रोसेसर का इस्तेमाल किया गया। माइक्रोप्रोसेसर चिप को LSIC (Large Scale Integration Circuit) तकनीक का इस्तेमाल करके Intel Corporation ने 4004 नाम से 1971 मे पेश किया था। बाद मे इसे VLSIC (Very Large Scale Integration Circuit) मे बदला गया। माइक्रोप्रोसेसर को सैकड़ों-हजारों ICs को असेम्बल करके बनाया जाता है। कंप्यूटर जो पहले एक बहुत बड़े कमरे में स्थापित होता था, माइक्रोप्रोसेसर के इस्तेमाल से अब उसे एक मेज पर रखा जाने लगा। इस पीढ़ी के कंप्यूटरों के उदाहरण – IBM 4341, DEC 10, STAR 1000, CRAY-1 (SuperComputer) आदि।
Fifth Generation – 1990 To Present
1990 के बाद के कंप्यूटर को पांचवीं पीढ़ी के कंप्यूटर कहा जाता है। इन कंप्युटर्स मे ULSIC (Ultra Large Scale Integration Circuit) का इस्तेमाल किया जाता है, इसलिए इन कंप्युटरों की गति बहुत अधिक है। इस पीढ़ी में कंप्यूटर को अपना निर्णय लेने की अनुमति देने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता की अवधारणा पेश की गई है। इस अवधि में रोबोटिक तकनीक, 3डी अवधारणा, विजुअल इफेक्ट्स पेश किए गए है। यह अभी भी विकास के चरण में है।
English note desaka kya
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Hello Sanu, i Didn’t understand what do you want to say…