दोस्तों, आज के आर्टिकल मे आप Tally Prime मे Groups तथा Ledgers बनाना जानेंगे। Group तथा Ledger का प्रयोग Tally मे एंट्री करने के लिए किया जाता है। जब भी किसी Transaction की एंट्री Tally मे बनाते है तो उससे पहले हमे Ledgers तैयार करने होते हैं। तो चलिए जानते है Group तथा Ledgers क्या होते है और इसे Tally Prime मे कैसे बनाते हैं –
Gateway of Tally –

Gateway of Tally टैली की मुख्य विंडो होती है। यह दो भाग में विभाजित होती है, लेफ्ट साइड में Company Period, Date और कंपनी की लिस्ट प्रदर्शित होती है। राइट साइड में Activate कंपनी से संबंधित Masters, Transactions, Utilities और Reports प्रदर्शित होती हैं।
Masters
Masters के अंतर्गत Create, Alter और Chart of Accounts ऑप्शन मौजूद होते है। इन ऑप्शन के द्वारा वाउचर मे एंट्री करने के लिए लेजर्स व उनके ग्रुप्स तैयार कर सकते है, उन्हे डिलीट या अपडेट भी कर सकते हैं।
Create
इसके अंतर्गत हम कंपनी के Accounting Masters व Inventory Masters क्रीऐट कर सकते हैं, तथा Statutory Details सेट कर सकते हैं।
Accounting Masters – इसमे कंपनी के लेजर्स, ग्रुप्स, करंसी, वाउचर्स, बजट, सेनारिओ आदि तैयार कर सकते है।
Inventory Masters – इसमे कंपनी के स्टॉक ग्रुप, स्टॉक केटेगरी, स्टॉक आइटम, यूनिट, गोडाउन आदि बना सकते हैं।
Statutory Details – इसमे कंपनी के Tax से संबंधित डिटेल्स सेट और अपडेट कर सकते है। जसे – GST, PAN/CIN आदि।
Alter
इसके अंतर्गत बनाए गए Accounting व Inventory Masters को अपडेट या डिलीट कर सकते है। मास्टर्स जैसे- ग्रुप, लेजर, वाउचर, करंसी, स्टॉक ग्रुप, स्टॉक आइटम, गोडाउन आदि डिलीट करने के लिए Master को ओपन करेंगे और Alt + D प्रेस करेंगे, लेकिन ध्यान रहे अगर मास्टर का यूज हो एंट्री मे हो चुका है तो डिलीट नहीं होगा। उसके लिए पहले एंट्री डिलीट करनी होगी।
Chart of Accounts
इसके अंतर्गत हम बनाए गए Accounting व Inventory Masters को चार्ट के रूप मे देख सकते हैं।
What are the Groups in Tally? (टैली मे ग्रुप क्या होते हैं) –
व्यापार मे अकाउंटिंग करने के लिए कई प्रकार के खाते बनाए जाते है जिनकी केटेगरी को निर्धारित करने के लिए Tally मे ग्रुप (Group) का इस्तेमाल किया जाता है। ग्रुप एक ही प्रकार के लेजर्स के समूह का एक नाम होता है। उदाहरण के लिए Indirect Expense एक प्रकार का ग्रुप है, अब इससे संबंधित कई लेजर इस प्रकार हो सकते है जैसे – Salary A/c, Stationary A/c, Advertisement A/c आदि, इन सभी लेजर को बनाते समय Indirect Expense ग्रुप का चुनाव करेंगे। अगर किसी लेजर को गलत ग्रुप में रखा जाता है तो बलेन्स शीट पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है, इसलिए लेजर बनाते समय सही ग्रुप का चुनाव किया जाना चाहिए। Tally में कुल 34 ग्रुप होते है जो इस प्रकार है।
Bank Accounts – इस ग्रुप मे सभी सामान्य बैंक खातो को रखा जाता है। जैसे – PNB Bank A/c, SBI Bank A/c आदि। लोन से संबंधित बैंक अकाउंट को इसमे शामिल नही किया जाता है।
Bank OCC A/c – इस ग्रुप मे Open Credit Cash Bank Account से संबंधित लेजर को शामिल किया जाता है। यानि ऐसे खाते जिन खातों मे 0 बैलन्स के बावजूद भी लेन-देन किया जा सकता है। जैसे – HDFC OCC A/c, SBI OCC A/c आदि।
Bank OD A/c – इस ग्रुप मे Bank Overdraft से संबंधित बैंक लेजर को रखा जाता है। बैंक ओवरड्राफ्ट किसी व्यवसाय के लिए एक अकाउंट हो सकता है जिसमे 0 बैलन्स होने पर भी एक लिमिट तक कैश निकाला जा सकता है। जैसे – HDFC Bank OD A/c, SBI Bank OD A/c व अन्य।
Branch/Divisions – यदि किसी कंपनी की एक से ज्यादा ब्रांच है और उन सभी ब्रांच का हिसाब किताब एक ही जगह रखा जाता है तो उन सभी Branch/Divisions से संबन्धित लेजर को इस Group मे रखते है। जैसे – ABC Pvt. Ltd. Lucknow, ABC Pvt. Ltd. Kanpur, ABC Pvt. Ltd. Delhi आदि।
Capital Account – इस ग्रुप मे कैपिटल से संबंधित लेजर को रखा जाता है। जैसे – Capital A/c, Harish Capital A/c आदि।
Cash-in-Hand – इस ग्रुप मे कैश से संबंधित लेजर को रखा जाता है, अगर कंपनी एक से अधिक कैश लेजर का इस्तेमाल करती है तो ऐसे लेजर को इस ग्रुप मे शामिल करते है। जैसे – Cash A/c, Petty Cash A/c आदि।
Current Assets – इस ग्रुप मे ऐसी संपत्तियों के लेजर को शामिल किया जाता है, जिसे आसानी से Cash मे बदला जा सकता है। जैसे – Advance Payment, Bills Receivable, Prepaid Rent, Stock आदि।
Current Liabilities – इस ग्रुप मे ऐसे लेजर्स को शामिल किया जाता है, जिनको भुगतान करना है, जैसे – Tax Payable, Bills Payable, Salary Payable, Loan Payable आदि।
Deposits (Asset) – व्यापार मे जब संपत्ति लंबे समय के लिए डिपॉजिट की जाती है, तो ऐसे लेजर्स को इस ग्रुप मे शामिल किया जाता है। जैसे – Godown Security Deposit, Telephone Security Deposit, Bond, Fixed Deposit आदि।
Direct Expenses – इस प्रकार के ग्रुप मे प्रत्यक्ष खर्चों से संबंधित लेजर्स को शामिल किया जाता है, जो माल की खरीद-फरोक्त तथा माल को निर्माण कराने पर खर्च किए जाते है। जैसे – Freight Inward, Carriage Inward, Coal आदि।
Direct Incomes – इस ग्रुप मे प्रत्यक्ष आय से संबंधित लेजर्स को शामिल किया जाता है, ऐसी आय जो व्यापार के मुख्य सोर्स से प्राप्त होती है। जैसे- Income from Service Sales, Income form Goods Sales, Apprentice Premium आदि।
Duties & Taxes – इस ग्रुप मे सभी प्रकार के Tax लेजर्स को रखा जाता है। जैसे – IGST, CGST, SGST, TDS, VAT आदि।
Expenses (Direct) – इस प्रकार के ग्रुप मे प्रत्यक्ष खर्चों से संबंधित लेजर्स को शामिल किया जाता है, जो माल की खरीद-फरोक्त तथा माल को निर्माण कराने पर खर्च किए जाते है। जैसे – Freight Inward, Carriage Inward, Coal आदि।
Expenses (Indirect) – इस प्रकार के ग्रुप मे अप्रत्यक्ष खर्चों से संबंधित लेजर्स को शामिल किया जाता है, जो माल की बिक्री तथा कार्यालय (Office) से संबंधित होते हैं। जैसे – Salary, Building Rent, Audit Fee, Sundry Expense, Sweeping Charges, Advertisement, Stationary, Freight Outward आदि।
Fixed Assets – इस ग्रुप मे व्यवसाय की सभी स्थायी संपत्तियों के लेजर्स बनाए जाते है, वे संपत्तियां जो व्यवसाय के संचालन मे सहायक होती हैं। जैसे – Building, Land, Computer, Furniture, Machinery, Toos आदि।
Income (Direct) – इस ग्रुप मे प्रत्यक्ष आय से संबंधित लेजर्स को शामिल किया जाता है, ऐसी आय जो व्यापार के मुख्य सोर्स से प्राप्त होती हो। जैसे – Income from Service Sales, Income form Goods Sales, Apprentice Premium आदि।
Income (Indirect) – इस प्रकार के ग्रुप मे अप्रत्यक्ष आय से संबंधित लेजर्स को शामिल किया जाता है, अर्थात जिनका सीधा संबंध माल की खरीद या उत्पाद के निर्माण से नही होता है। जैसे – Interest Received, Discount Received, Scrap Sale, Commission Received आदि।
Indirect Expenses – इस प्रकार के ग्रुप मे अप्रत्यक्ष खर्चों से संबंधित लेजर्स को शामिल किया जाता है, जो माल की बिक्री तथा कार्यालय (Office) से संबंधित होते हैं। जैसे – Salary, Building Rent, Audit Fee, Sundry Expense, Sweeping Charges, Advertisement, Stationary, Freight Outward आदि।
Indirect Incomes – इस प्रकार के ग्रुप मे अप्रत्यक्ष आय से संबंधित लेजर्स को शामिल किया जाता है अर्थात जिनका सीधा संबंध माल की विक्री या उत्पाद से नही होता है। जैसे – Interest Received, Discount Received, Scrap Sale, Commission Received आदि।
Investment – इस ग्रुप मे इनवेस्टमेंट से संबंधित लेजर्स को शामिल किया जाता है, वे संपत्तियाँ जो लॉंग टर्म मे अधिक लाभ कमाने के उद्देश्य से खरीदी जाती हैं। जैसे- Shares, Properties, Mutual Fund, Stocks आदि।
Loan & Advances (Asset) – यदि आपने व्यवसाय मे किसी को Advance Payment या Loan दिया है तो ऐसे खातो को इस ग्रुप मे शामिल करते है। जैसे – Loan Given to Friends & Relatives, Advance Payment to Employee आदि।
Loans (Liability) – यदि व्यवसाय मे किसी से Advance Payment या Loan लिया है, तो ऐसे खातो को इस ग्रुप मे शामिल करते है। जैसे – Bank Loan, Advance Payment from Parti आदि।
Misc. Expenses (Asset) – इस ग्रुप मे उन खर्चों के लेजर्स शामिल किए जाते है, जिनका पेमेंट वर्षों के अनुपात मे एक मुश्त करना होता है। जैसे – Preliminary Expenses, Copyright Payment आदि।
Provisions – इस ग्रुप मे उन खातो को शामिल किया जाता है, जो भविष्य मे होने वाले किसी नुकसान की आपूर्ति करने के लिए बनाए जाते हैं। जैसे – Provision for Bad Debts, Sales Tax आदि।
Purchase Accounts – इस ग्रुप मे माल की खरीद से संबंधित लेजर्स बनाए जाते है तथा सप्लायर को माल वापस करने से संबंधित खाते भी इसी ग्रुप मे शामिल किए जाते हैं। जैसे – Purchase A/c, Purchase Return A/c, IntraState Purchase, InterState Purchase आदि।
Reserves & Surplus – व्यसाय को भविष्य मे बेहतर बनने के लिए जिन पूंजियों को रिजर्व करके रखा जाता है, उनके खाते इस ग्रुप के अंतर्गत बनाए जाते हैं। जैसे – Generator Reserves, Machine Reserves, Another Branch Reserves आदि।
Retained Earnings – व्यवसाय मे प्रॉफ़िट का कुछ हिस्सा भविष्य के लिए बचा के रखते है, ताकि बुरे वक्त मे जब पैसे की जरूरत पड़े तो इस्तेमाल कर सके या किसी अन्य जरूरत को पूरा कर सकें। ऐसे खाते इस ग्रुप के अंतर्गत बनाए जाते हैं। जैसे – Loss Recovery, Future Needs आदि।
Sales Accounts – इस ग्रुप मे माल की बिक्री से संबंधित लेजर्स बनाए जाते है तथा ग्राहक के द्वारा माल को वापस करने से संबंधित खाते भी इसी ग्रुप शामिल किए जाते हैं। जैसे – Sales A/c, Sales Return A/c, IntraState Sales, InterState Sales आदि।
Secured Loans – इस ग्रुप मे सुरक्षित ऋण से संबंधित खाते बनाए जाते हैं, जिनमे ऋण के बदले कोई संपत्ति गिरवी रखनी होती है। जैसे – Bank Loans, Finance Loan आदि।
Stock-in-Hand – इस ग्रुप मे Stock से संबन्धित खातो को शामिल किया जाता है। जैसे Opening Stock, Closing Stock, Consignment Stock आदि।
Sundry Creditors – जब किसी कंपनी या पार्टी से उधार माल (Goods) खरीदते है, तो ऐसी सभी कंपनी या पार्टी के खाते इस ग्रुप के अंतर्गत बनाए जाते हैं। जैसे – Mohan’s A/c, Verma Industries, Varuna Pvt. Ltd. आदि।
Sundry Debtors – जब किसी कंपनी या पार्टी को उधार माल (Goods) बेचते है, तो ऐसी सभी कंपनी या पार्टी के खाते इस ग्रुप के अंतर्गत बनाए जाते हैं। जैसे – Ahuja’s A/c, Malik & Sons Co., Varuna Pvt. Ltd. आदि।
Suspense Account – इस ग्रुप के अंतर्गत ऐसे खातों को बनाया जाता है, जो किसी लेन-देन मे हुई भूल-चूक के कारण हमे पता नहीं होता तथा जिनकी वजह से बैलन्स कम या ज्यादा हो जाता है। हालांकि या मैनुअल सिस्टम मे यह अधिक होता था Tally Prime मे ऐसा न के बराबर होता है।
Unsecured Loans – जब व्यवसाय मे किसी दोस्त या रिस्तेदार से बिना कोई संपत्ति गिरवी रखे लोन लिया जाता है, तो ऐसे लोन को इस ग्रुप मे शामिल करते है। जैसे – Loan from Vijay, Loan from Akash आदि।
Creating New Group in Tally Prime (टैली प्राइम मे नया ग्रुप बनाना) –
यहाँ हम Office Expenses नाम से नया ग्रुप बनाएंगे तथा ऑफिस मे होने वाले खर्चों से संबंधित जितनी भी लेजर बनाएंगे उन्हे इसी Group में रखेंगे। जैसे- Tea Expenses, News Paper, Computer Repair, Printer Repair etc.
Group Creation
Gateway of Tally>Masters>Create>Accounting Masters>Group
Name : Office Expenses
Under : Indirect Expenses
बाकी सभी ऑप्शन को डिफ़ॉल्ट सेट रहने दे तथा Group Creation स्क्रीन Accept कर ले, बिल्कुल इसी तरह हम कितने भी ग्रुप्स बना सकते हैं।
Group Update/Delete
Gateway of Tally>Masters>Alter>Accounting Masters>Group
टैली प्राइम मे ग्रुप को अपडेट या डिलीट करने के लिए ऊपर दिए गए पाथ के अनुसार ग्रुप ओपन करें, अब अगर ग्रुप को अपडेट करना है तो ग्रुप डिटेल्स को चेंज करके Accept कर लें। इस तरह ग्रुप अपडेट हो जाएगा।
अगर ग्रुप को डिलीट करना है तो ग्रुप को ओपन करे तथा Alt + D प्रेस करे तथा कान्फर्मैशन के लिए Yes करें, इस तरह ग्रुप डिलीट हो जाएगा।
ध्यान रहे जिस ग्रुप को डिलीट कर रहे है उसका उपयोग वाउचर एंट्री मे नहीं होना चाहिए, नहीं तो ग्रुप डिलीट नहीं होगा। इसके लिए पहले एंट्री डिलीट करनी होगी।
Note : Tally Prime मे स्वयं से बनाए गए ग्रुप को ही डिलीट या अपडेट कर सकते हैं।
What are the Ledgers in Tally? (टैली मे लेजर्स क्या होते हैं) –
लेजर एक खाता होता है जिस नाम से व्यापारिक लेनदेन (Transaction) को Vouchers मे Record किया जाता है, यह किसी व्यक्ति, पार्टी, कंपनी, संस्था, संपत्ति, खर्चे, आय, व्यय आदि के नाम पर बनाए जाते हैं।
Creating New Ledger in Tally Prime (टैली प्राइम मे नया लेजर बनाना) –
Tally Prime मे दो लेजर Cash A/c और Profit & Loss A/c पहले से बने होते है। नया लेजर निम्न प्रकार से बनाएंगे।
Ledger Creation
Gateway of Tally>Masters>Create>Accounting Masters>Ledger
Name : Pawan Enterprise’s A/c
Under : Sundry Creditor
अन्य ऑप्शन को जरूरत के अनुसार सेट करे, नहीं तो डिफ़ॉल्ट सेट रहने दें। अलग-अलग प्रकार के लेजर के लिए अलग-अलग ऑप्शन आते है, जैसे किसी पार्टी का लेजर बनाते वक्त उसकी Contact Details तथा Bill Details भरने के लिए ऑप्शन आते है, बैंक की लेजर बनाते वक्त Bank Details के ऑप्शन व किसी संपत्ति व खर्चों के लेजर के लिए उनके अनुसार ऑप्शन आते है, जिन्हे आप जरूरत के अनुसार फिल कर सकते हैं। मुख्य रूप से जरूरी Ledger Name और Under Group भरना होता है।
डिटेल्स भरने के बाद Ledger Creation स्क्रीन Accept कर लें। इसी तरह अन्य लेजर भी बना सकते हैं।
Ledger Update/Delete
Gateway of Tally>Masters>Alter>Accounting Masters>Ledger
टैली प्राइम मे किसी भी लेजर को अपडेट या डिलीट करने के लिए ऊपर दिए गए पाथ के अनुसार लेजर ओपन करें, अब अगर लेजर को अपडेट करना है तो लेजर डिटेल्स को चेंज करके Accept कर लें। इस तरह लेजर अपडेट हो जाएगा।
अगर लेजर को डिलीट करना है तो लेजर को ओपन करे तथा Alt + D प्रेस करे तथा कान्फर्मैशन के लिए Yes करें, इस तरह लेजर डिलीट हो जाएगा।
ध्यान रहे जिस लेजर को डिलीट कर रहे है उसका उपयोग वाउचर एंट्री मे नहीं होना चाहिए नहीं तो लेजर डिलीट नहीं होगा। इसके लिए पहले एंट्री डिलीट करनी होगी।
Different Ledgers and their Groups (लेजर्स और उनके ग्रुप्स) –
Sr no | Ledger Name | Group | Sr no | Ledger Name | Group |
1 | Purchase A/c | Purchase Account | 9 | Purchase Return | Purchase Account |
2 | Drawing A/c | Capital Account | 10 | Sales Return | Sales Account |
3 | Electricity Bill | Indirect Expenses | 11 | Furniture | Fixed Assets |
4 | Freight Inward | Direct Expenses | 12 | Rates & Taxes | Indirect Expenses |
5 | Salaries | Indirect Expenses | 13 | Sbi A/c | Bank Account |
6 | Export Duty | Indirect Expenses | 14 | Refrigerator | Fixed Assets |
7 | Tools | Fixed Assets | 15 | Building Rent | Indirect Expenses |
8 | Donation | Indirect Expenses | 16 | Drawing A/c | Capital Account |
डाउनलोड लेजर्स एण्ड ग्रुप्स प्रैक्टिस सेट –
Final Words
इस आर्टिकल के माध्यम से आज आपने टैली मे मास्टर्स का उपयोग करना जाना, जिसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार के ग्रुप्स व उनके उपयोग क्या है, नया ग्रुप बनाना, लेजर क्या होती है इसे Tally मे कैसे बनाते है यह भी जाना। अगले आर्टिकल मे आप Tally Prime मे उपयोग होने वाले विभिन्न Vouchers के बारे मे जानेंगे। Tally Prime व अन्य Tech संबंधी पोस्ट के लिए हमे Facebook व Telegram पर join करें। इस पोस्ट से संबंधित अगर आप कुछ कहना चाहते है तो कृपया कमेन्ट करे तथा इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें।