Programming Language
प्रोग्रामिंग भाषा कंप्यूटर के साथ प्रोग्रामर का प्राथमिक इंटरफ़ेस है। कंप्यूटर प्रोग्राम बनाने के लिए प्रोग्रामिंग भाषाओं का उपयोग किया जाता है। प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को दो कैटेगरी में बांटा गया है।
- LLL – Low level language ( निम्न स्तरीय भाषा)
- HLL – High Level Language (उच्च स्तरीय भाषा)
Low Level Language
यह भाषाएं मशीन के अनुकूल हैं, इन्हे मनुष्य द्वारा समझना काफी कठिन होता है। यह भाषाएं दो प्रकार की होती है।
- Machine Language – मशीनी भाषा को केवल 0 और 1 द्वारा दर्शाया जाता है, इसे बाइनरी भाषा भी कहते हैं। मशीनी भाषा को कंप्यूटर आसानी से समझ सकते हैं। इसलिए मशीनी भाषा में लिखे कोड बिना कंपाइल व इंटरप्रेट किए बिना आसानी से रन किया जा सकता है। मशीनी भाषा मे बने प्रोग्राम अन्य भाषाओ की तुलना मे अधिक तेज होते हैं।
- Assembly Language – असेंबली भाषा मे प्रोग्राम कोड लिखने के लिए 0 और 1 के बजाय संख्याओं, प्रतीकों और अल्फानूमेरिक कोड का उपयोग किया जाता हैं। उदाहरण के लिए – जोड़, घटाव और गुणा के लिए इसमें Add, Sub और Mul आदि प्रतीकों का उपयोग किया जाता है। इस भाषा मे लिखे प्रोग्राम को रन करने के लिए असेम्बलर की आवश्यकता होती है, जो कोड को मशीनी भाषा मे परिवर्तित करता है।
High Level Language
मानव या प्रोग्रामर द्वारा उच्च स्तरीय भाषा को पढ़ना, लिखना और समझना आसान होता है। उच्च स्तरीय भाषा को मशीनी भाषा में परिवर्तित करने के लिए Compiler और Interpreter जैसे अनुवादक (Language Translator) का इस्तेमाल किया जाता है। उच्च स्तरीय भाषा का उपयोग यूजर द्वारा कंप्यूटर प्रोग्राम,सॉफ्टवेयर, गेम्स और वेबसाइटों को विकसित करने के लिए किया जाता है। आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली कुछ उच्च स्तरीय भाषाएँ C, C++, Java, Python, HTML, PHP आदि हैं।
Difference Between High Level and Low Level Language
निम्न स्तरीय भाषा (LLL) | उच्च स्तरीय भाषा (HLL) |
यह एक मशीन फ्रेंडली भाषा है। | यह प्रोग्रामर फ्रेंडली भाषा है। |
निम्न स्तरीय भाषा कम मेमोरी इस्तेमाल करती है। | उच्च स्तरीय भाषा अधिक मेमोरी इस्तेमाल करती है। |
इसे समझना कठिन है। | इसे समझना आसान है। |
तुलनात्मक रूप से इसे डीबग करना जटिल है। | इसे डीबग करना आसान है। |
यह पोर्टेबल नहीं है। | यह पोर्टेबल है। |
यह मशीन पर निर्भर है। इसमे लिखा प्रोग्राम उसी मशीन पर रन होता है। | यह मशीन पर निर्भर नहीं है, इसमे लिखा प्रोग्राम किसी भी मशीन पर रन हो सकता है। |
Binary, Assembly इसके उदाहरण हैं। | BASIC, C, C++, JAVA, .NET, PHP, Python आदि इसके उदाहरण हैं। |
Number System (संख्या प्रणाली)

संख्या एक गणितीय मान होता है, जिसका उपयोग वस्तुओं को गिनने, मापने और अंकगणितीय गणना करने आदि के लिए किया जाता है। संख्या प्रणाली अंकगणित में ऐसी प्रणालियाँ हैं जिनका उपयोग विभिन्न रूपों में संख्याओं को व्यक्त करने के लिए किया जाता है। आधार वैल्यू और अंकों के क्रम के आधार पर संख्या प्रणालियाँ सामान्य रूप से चार प्रकार की होती हैं जिनका कंप्यूटर मे उपयोग किया जाता है, ये निम्न प्रकार हैं।
Decimal Number System (दसमलव संख्या प्रणाली)
Decimal Number System मे 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 तक 10 अंक होते हैं, इसलिए इनका आधार 10 होता है। इस Number System मे संख्याओं को दाहिने से बाएं गिना जाता है, पहला नंबर इकाई, दूसरा दहाई, तीसरा सैकड़ा, चौथा हजार तथा इसी तरह आगे दस हजार, लाख आदि होते हैं। Decimal Number System मे प्रत्येक अंक एक विशिष्ट स्थान पर होता है, इसलिए इनका स्थानीय मान 10 की विभिन्न घातों का गुणनफल होता है। जैसे- इकाई का मान 100, दहाई का मान 101, सैकड़ा का मान 102, हजार का 103 इसी तरह आगे भी।
उदारण के लिए 2508 संख्या मे इकाई के स्थान पर 8, दहाई के स्थान पर 0, सैकड़ा के स्थान पर 5 तथा हजार के स्थान पर 2 है इसलिए इनका मान निम्न प्रकार लिखा जा सकता है।
(2508)10
2×103 + 5×102 + 0×101 + 8×100
2000 + 500 + 0 + 8 = 2508
(2508)10
Binary Number System (बाइनरी संख्या प्रणाली)
Binary Number System मे 0,1 दो अंक होते हैं, इसलिए इनका आधार भी 2 होता है। इन दो अंकों का उपयोग करके बनने वाली संख्याओं को बाइनरी संख्या कहा जाता है। Binary Number System इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों और कंप्यूटर सिस्टम में मशीनी भाषा के तौर पर इस्तेमाल होती है, क्योंकि इनके केवल दो स्टेट होते है, जहां 0 को OFF तथा 1 को ON से व्यक्त किया जाता है।
बाइनरी संख्या को डेसीमल में निम्न प्रकार दर्शाया जाता है –
Binary | 0 | 1 | 10 | 11 | 100 | 101 | 110 | 111 | 1000 | 1001 |
Decimal | 0 | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 |
बाइनरी संख्या को डेसीमल संख्या मे निम्न प्रकार बदला जाता है।
(110101)2 = (?)10
1×25 + 1×24 + 0x23 + 1×22 + 0x21 + 1×20
32 + 16 + 0 + 4 + 0 + 1 = 53
(53)10
Octal Number System (ऑक्टल संख्या प्रणाली)
Octal Number System मे 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7 तक 8 अंक होते है, इसलिए इनका आधार 8 होता है। ऑक्टल नंबर UTF8 नंबरों के प्रतिनिधित्व के लिए उपयोगी होते हैं।
आक्टल संख्या को डेसीमल संख्या मे निम्न तरह बदलेंगे-
(27)8 = (?)10
2×81 + 7×80
16 + 7 = 23
(23)10
उदाहरण – 2
(4307)8 = (?)10
4×83 + 3×82 + 0×81 + 7×80
2048 + 192 + 0 + 7 = 2247
(2247)10
Hexadecimal Number System (हेक्साडेसीमाल संख्या प्रणाली)
Hexadecimal Number System मे 0 से 9 तथा A से F तक 16 अंक होते है, इसलिए इनका आधार 16 होता है। 0 से 9 अंकों को डेसीमल संख्या प्रणाली में अंकों की तरह लिखा जाता है, लेकिन 10 से 15 अंकों को A से F के रूप में दर्शाया जाता है यानी 10 को A, 11 को B, 12 को C, 13 को D, 14 को E, और 15 को F के रूप में लिखा जाता है। हेक्साडेसिमल नंबर मेमोरी एड्रेस लोकेशन को संभालने के लिए उपयोगी होते हैं।
Hexadecimal | 0 | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | A | B | C | D | E | F |
Decimal | 0 | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 |
उदाहरण के लिए यहाँ BC12 एक हेक्साडेसीमाल संख्या है, इसे डेसीमल मे निम्न तरह बदलेंगे-
(BC12)16 = (?)10
11×163 + 12×162 + 1×161 + 2×160
45056 + 3072 + 16 + 2 = 48146
(48146)10
Very nice
Nice sir
Tq..😊