नमस्कार दोस्तों! कंप्यूटर की आउटपुट डिवाइस के इस आर्टिकल मे आज हम आपको आउटपुट डिवाइसेस के बारे मे बताएंगे। पिछली पोस्ट कंप्यूटर की इनपुट डिवाइसेस पर आधारित थी। अगर आपने वह पोस्ट नहीं पढ़ी है तो आप उसे इस पोस्ट के अंत मे BACK बटन पर क्लिक करके पढ़ सकते है। आज इस पोस्ट मे कंप्यूटर मे इस्तेमाल की जाने वाली विभिन्न प्रकार की आउटपुट डिवाइस के बारे मे जानेंगे।
आउटपुट डिवाइस क्या है? (What is the Output Device)
कंप्यूटर मे जिन डिवाइस द्वारा प्रोसेस किये गये डाटा का आउटपुट प्राप्त किया जाता है उन्हे आउटपुट डिवाइस कहा जाता है। डाटा के कई प्रकार होते है जैसे टेक्स्ट, नंबर, सिम्बल, साउन्ड, ग्राफिक आदि; इसलिए अलग-अलग प्रकार के डाटा को प्राप्त करने के लिए अलग-अलग प्रकार कि डिवाइसेस भी इस्तेमाल की जाती है, जिनके बारे मे हम आपको नीचे बता रहे हैं।
1. मॉनिटर (Monitor)
मॉनिटर एक मुख्य आउटपुट डिवाइस है, मॉनिटर को वीडियो डिस्प्ले टर्मिनल (VDT) या वीडियो डिस्प्ले यूनिट (VDU) भी कहा जाता है। इसका उपयोग CPU द्वारा प्रोसेस किए गए आउटपुट डाटा जैसे छवियों, टेक्स्ट, वीडियो और ग्राफिक्स जैसी जानकारी को प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है। एक मॉनिटर टीवी की तरह ही होता है, लेकिन इसका रेजोल्यूशन टीवी से काफी ज्यादा हाई होता है। कंप्यूटर मे कई प्रकार के मॉनिटर इस्तेमाल किए जाते है जो निम्न प्रकार है।
सीआरटी मानिटर (CRT Monitors)

कैथोड रे ट्यूब (Cathode Ray Tube) मॉनिटर जो दिखने मे बिल्कुल टीवी के समान है, लेकिन अब इनका इस्तेमाल होना लगभग बंद हो चुका है। यह मानिटर शुरुआत मे ब्लैक/व्हाइट तथा बाद मे कलर (RGB) ऑप्शन मे आए। CRT मानिटर इलेक्ट्रान बीम तकनीक का इस्तेमाल कर स्क्रीन पर छवि प्रदर्शित करते हैं। इलेक्ट्रॉन गन जो कैथोड रे ट्यूब मे एलेक्ट्रॉनों की बमबारी करते है तथा स्क्रीन जो एक विशेष प्रकार की फ्लोरोसेंट सामग्री के साथ लेपित होती है। जब इलेक्ट्रॉन किरण स्क्रीन से टकराती है तो फ्लोरोसेंट सामग्री अपनी ऊर्जा को अवशोषित करती है और फोटॉन के रूप में प्रकाश को उत्सर्जित करती है, जिससे स्क्रीन पर चमक उत्पन्न होती है। CRT मॉनिटर छवि को प्रदर्शित करने के लिए कुछ ऐसी ही तकनीक का इस्तेमाल करते है लेकिन समय के साथ अब यह तकनीक पुरानी हो चुकी है। इसकी जगह अब LCD, TFT, LED, OLED आदि ने ले ली है।
CRT मॉनिटर कि खामियाँ
- पावर बहुत अधिक खपत करते थे।
- आकार मे बड़े होने के साथ वजन मे भारी होते थे।
- रेडिएशन अधिक उत्सर्जित करते थे।
CRT मॉनिटर कि विशेषताए
- कलर प्रोडक्शन बहुत अच्छा था।
- विविन्ग एंगल बहुत अच्छा था।
एफपीडी मॉनिटर (FPD Monitor)

फ्लैट पैनल डिस्प्ले (Flat Panel Display) मॉनिटर जो कैथोड रे ट्यूब (सीआरटी) डिज़ाइन के बजाय पतले व समतल पैनल डिज़ाइन का उपयोग करते है। इन मॉनिटर की स्क्रीन बहुत हल्की और पतली होती हैं, तथा CRT मॉनिटर की तुलना में ये बहुत अधिक पोर्टेबल भी होते हैं। इनमे पुराने मॉडलों की तुलना में उच्च रिज़ॉल्यूशन भी होता है तथा ऊर्जा कि खपत भी कम करते है। फ्लैट पैनल डिस्प्ले दो प्रकार प्रकार के होते है।
- एमिसिव डिस्प्ले (Emissive Display) – एमिसिव डिस्प्ले ऐसे उपकरण होते हैं, जो विद्युत ऊर्जा को प्रकाश में परिवर्तित करते हैं। उदाहरण के लिए- Plasma Panel और LED (Light Emitting Diode).
- नॉन-एमिसिव डिस्प्ले (Non-Emissive Display) – नॉन-एमिसिव डिस्प्ले प्रकाश को ग्राफिक्स पैटर्न में बदलने के लिए ऑप्टिकल प्रभावों का उपयोग करते हैं। उदाहरण के लिए- LCD (Liquid Cristal Display).
फ्लैट पैनल मॉनिटर के निम्न उदाहरण हैं।
एलसीडी मॉनिटर (LCD Monitor)
एलसीडी का पूर्ण रूप लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले (Liquid Cristal Display) है, ये मॉनिटर लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले तकनीक का इस्तेमाल करते है। लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले आवश्यक रूप से छवियों को बनाने के लिए क्रिस्टल का तरल पदार्थ इस्तेमाल करती है, जिससे ये CRT की तरह प्रकाश का उत्सर्जन नहीं करते हैं। LCD अपनी बैकलाइट रोशनी के लिए कोल्ड कैथोड फ्लौरेस्सेंट लैंप (Cold Cathode Fluorescent Lamp) का इस्तेमाल करती है जिस वजह से यह CRT मानिटर की अपेक्षा ऊर्जा की कम खपत करते है। इनका कलर प्रोडक्शन अच्छा होता है लेकिन विविन्ग एंगल ज्यादा अच्छे नहीं होते है। CRT की तुलना मे LCD रेडिएशन न के बराबर उत्सर्जित करता है।
शुरुआत मे बिजली की कम खपत के कारण लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले का उपयोग लैपटॉप मे किया जाता था, लेकिन आज LCD डिस्प्ले का प्रयोग TV, Smart Watches, Smartphone, Tablet, Microwave Oven व अन्य एलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस मे भी किया जाता है।
टीएफटी मानिटर (TFT Monitor)
टीएफटी का पूर्ण रूप थिन फिल्म ट्रांजिस्टर (Thin Film Transistor) है। ये मानिटर थिन फिल्म ट्रांजिस्टर तकनीक का उपयोग करते हैं, जिसमे स्क्रीन पर चित्रों को प्रदर्शित करने के लिए लाखों छोटे-छोटे ट्रांजिस्टर इस्तेमाल किए जाते है। इसमे प्रत्येक पिक्सेल के लिए एक ट्रांजिस्टर का प्रयोग किया जाता है। प्रत्येक पिक्सेल से लिए रिजर्व ट्रांजिस्टर के प्रयोग होने से यह मॉनिटर चित्रों को तेजी से रिफ्रेश कर सकता है। जब भी कोई ट्रांजिस्टर विफल हो जाता है तो स्क्रीन पर एक पिक्सेल डॉट के रूप मे कार्य करना बंद कर देता है, या जब ट्रांजिस्टर कि एक सीरीज ही विफल हो जाती है तो स्क्रीन पर एक लाइन बनके आने लगती है। ये मॉनिटर LCD मॉनिटर की तुलना मे बेहतर व उच्च गुणवत्ता रखते हैं।
एलईडी मॉनिटर (LED Monitor)
एलईडी का पूर्ण रूप लाइट इमिटिंग डायोड (Light Emitting Diode) है, ये मॉनिटर बैक लाइटिंग के लिए लाइट इमिटिंग डायोड का इस्तेमाल करते हैं। LED मॉनिटर LCD और CRT कि तुलना मे बिजली की कम खपत करते हैं, इन्हे पर्यावरण के अनुकूल भी माना जाता है। ये मॉनिटर के बाजार मे अभी नवीनतम प्रकार हैं, इनके डिस्प्ले फ्लैट होने के साथ घुमावदार हो सकते हैं। लाइट इमिटिंग डायोड के इस्तेमाल के कारण ये मॉनिटर ज्यादा कन्ट्रास्ट वाली पिक्चर प्रदर्शित करने मे सक्षम हैं। इनके रंगों का प्रकार भी अन्य डिस्प्ले यूनिटों से ज्यादा साफ़ होता है। एलईडी मॉनिटर गेमिंग के लिए बेहतर होते है क्योंकि इनका रिफ्रेश रेट अन्य CRT और LCD की तुलना मे हाई होता है।
ओएलईडी मॉनिटर (OLED Monitor)
ओएलईडी का पूर्ण रूप ऑर्गेनिक लाइट एमिटिंग डायोड (Organic Light Emitting Diode) है। OLED तकनीक डिस्प्ले के विकास में सबसे नयी तकनीक है, क्योंकि यह बैकलाइट को पूरी तरह से हटा देती है। OLED मॉनिटर फ्लैट कंप्यूटर डिस्प्ले होते हैं जिनमें लिक्विड क्रिस्टल से भरी इकाइयों के बजाय OLEDs (ऑर्गेनिक लाइट एमिटिंग डायोड) से बने पिक्सेल होते हैं। LCD तकनीक के विपरीत, OLED को कार्य करने के लिए बैकलाइटिंग की आवश्यकता नहीं होती है। ये मॉनिटर हाई रेसोल्यूशन, हाई रिफ्रेश रेट, बहुत कम बिजली खपत तथा हाई पिक्चर क्वालिटी के साथ आते हैं। इन मॉनिटर मे कलर प्रोडक्शन बिल्कुल नेचुरल होता है, इसलिए ये मॉनिटर बहोत महंगे होते है।
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2. प्रिंटर (Printer)
प्रिंटर एक बहुत ही लोकप्रिय आउटपुट डिवाइस है इसका उपयोग कागज पर सूचना को प्रिंट करने के लिए किया जाता है। प्रिंटर द्वारा प्रिन्ट की गई जानकारी को हार्ड कॉपी कहा जाता है। प्रिंटर की प्रिन्ट क्वालिटी को डॉट्स पर इंच (DPI) मे मापा जाता है। प्रिंटर दो प्रकार के होते हैं।
इम्पैक्ट प्रिंटर
नॉन-इम्पैक्ट प्रिंटर
इम्पैक्ट प्रिंटर (Impact Printer)
इम्पैक्ट प्रिंटर इलेक्ट्रो-मैकेनिकल मैकेनिज्म का उपयोग करते हैं तथा हमेशा कागज के सीधे संपर्क में रहते हैं, टाइपराइटर इसका मुख्य उदाहरण है। इम्पैक्ट प्रिंटर मे स्याही को प्रिन्ट हेड की मदद से कागज की सतह के खिलाफ हिट किया जाता है जिससे स्याही कागज पर स्थानांतरित हो जाती है और इस तरह प्रिन्ट हेड पर छपे वर्ण/पिन कागज पर मुद्रित हो जाते है। ये प्रिंटर प्रिंटिंग करते व्यक्त बहुत शोर करते हैं। इम्पैक्ट प्रिंटर आज पुरानी टेक्नॉलॉजी हो चुकी है इसकी जगह अब नॉन-इम्पैक्ट प्रिंटर ने ले ली है, लेकिन अभी भी ये प्रिंटर जरूरत के अनुसार चलन मे हैं। इम्पैक्ट प्रिंटर दो प्रकार के होते हैं-
कैरेक्टर प्रिंटर
लाइन प्रिंटर
कैरेक्टर प्रिंटर (Character Printer)
कैरेक्टर प्रिंटर एक बार मे एक कैरेक्टर प्रिन्ट करते हैं। ये स्लो स्पीड प्रिंटर हैं इनकी छपाई की गति 10-600 कैरेक्टर प्रति सेकंड की रेंज में होती है। इनके निम्न प्रकार हैं।
डॉट-मैट्रिक्स प्रिंटर (Dot-Metrix Printer)

ये प्रिंटर प्रत्येक वर्ण को डॉट्स के पैटर्न के रूप में प्रिंट करते हैं। प्रत्येक वर्ण की ये आकृतियाँ छोटे-छोटे बिन्दुओं के रूप में बनती हैं। इसमे कागज को एक ड्रम (रबर कोटेड सिलेंडर) के खिलाफ दबाया जाता है और छपाई प्रगति के रूप मे रुक-रुक कर आगे बढ़ती है। इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रूप से संचालित प्रिंटहेड कागज पर हिट करता है तथा पेपर और प्रिंटहेड पिन के बीच स्थित प्रिंटर रिबन से टकराता है। प्रिंटर रिबन के खिलाफ प्रिंटहेड के प्रभाव से कागज पर स्याही बिंदुओं को अंकित करता है जो बिन्दुओ द्वारा अंकित वर्ण बनाते हैं। डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर विभिन्न आकार, और फोंट में वर्णों को प्रिंट कर सकता है।
डॉट-मैट्रिक्स प्रिंटर 9 या 24 पिन प्रिंटहेड के साथ प्रिंट रिज़ॉल्यूशन और गुणवत्ता में भिन्न होते हैं। प्रति इंच जितने अधिक पिन होंगे, प्रिंट रिज़ॉल्यूशन उतना ही अधिक होगा। अधिकांश डॉट-मैट्रिक्स प्रिंटर का अधिकतम रिज़ॉल्यूशन लगभग 240 डीपीआई (डॉट्स प्रति इंच) होता है।
डेज़ी-व्हील प्रिंटर (Daisy-Wheel Printer)

इन प्रिंटरों में धातु या प्लास्टिक के पहियों से बने प्रिंटहेड होते हैं जिन्हें पंखुड़ियों में काटा जाता है। प्रत्येक पंखुड़ी पर एक अक्षर छपा होता है (कैपिटल और लोअर केस में), संख्या, या विराम चिह्न आदि। जब पंखुड़ी को प्रिंटर रिबन से टकराया जाता है, तो परिणाम स्वरूप आकृति कागज पर स्याही लगा देती है, जिससे कागज पर वर्ण छप जाता है। डेज़ी-व्हील प्रिंटर तेज़ और धीमे होते हैं तथा ग्राफिक्स को प्रिंट नहीं कर सकते हैं।
लाइन प्रिंटर (Line Printer)
लाइन प्रिंटर बड़ी मात्रा में आउटपुट के उत्पादन के लिए हैं। ये प्रिंटर एक बार में टेक्स्ट की एक लाइन प्रिंट करते हैं। इसकी छपाई की गति 300-3000 लाइन प्रति मिनट तक होती है। इनके भी निम्न प्रकार हैं।
ड्रम प्रिंटर (Drum Printer)
ड्रम प्रिंटर में एक बेलनाकार ड्रम होता है। कैरेक्टर्स ड्रम की सतह पर उभरे हुए होते हैं। प्रिंट हैमर का एक सेट प्रत्येक कैरेक्टर् के साथ जुड़ा होता है। जैसे ही ड्रम घूमता है, हैमर वांछित कैरेक्टर की प्रतीक्षा करता है और जब कैरेक्टर हैमर के सामने आता है तो यह सक्रिय हो जाता है। हैमर को कागज के पीछे रखा जाता है वहां हैमर कागज पर रिबन (हैमर और ड्रम के बीच) के साथ सतह पर उभरा हुआ कैरेक्टर के खिलाफ हिट करते हैं। जब एक लाइन प्रिंट हो जाती है, तो पेपर अगली लाइन को प्रिंट करने के लिए ऊपर की ओर बढ़ता है।
चैन प्रिंटर (Chain Printer)

चैन प्रिंटर में एक तंत्र होता है जो एक ही लाइन पर कई वर्णों को एक साथ मुद्रित करने की अनुमति देता है। तंत्र एक बड़े घुमावदार प्रिंट ड्रम या लूप प्रिंट श्रृंखला का उपयोग करता है। जैसे ही ड्रम या चेन को कागज की सतह पर घुमाया जाता है, कागज के पीछे इलेक्ट्रोमैकेनिकल हैमर ड्रम या चेन की सतह पर कागज को धक्का देते हैं, जिससे ड्रम या चेन पर वर्ण के आकार के साथ कागज को चिह्नित किया जाता है।
प्रिंट तंत्र की प्रकृति के कारण, चैन प्रिंटर डॉट-मैट्रिक्स या डेज़ी-व्हील प्रिंटर की तुलना में बहुत तेज़ होते हैं। हालांकि वे काफी ज़ोरदार होते हैं तथा सीमित बहु-फ़ॉन्ट क्षमता रखते हैं, और अक्सर हाल की प्रिंटिंग तकनीकों की तुलना में कम प्रिंट गुणवत्ता का उत्पादन करते हैं।
नॉन-इम्पैक्ट प्रिंटर (Non-Impact Printer)
नॉन-इम्पैक्टप्रिंटर तेज होते हैं और इम्पैक्ट प्रिंटर की तुलना में उच्च गुणवत्ता वाले आउटपुट का उत्पादन करते हैं। वे प्रति मिनट 24 पेज तक प्रिंट कर सकते हैं। ये छपाई के दौरान कोई शोर नहीं पैदा करते हैं। ये प्रिंटर इम्पैक्ट प्रिंटर से महंगे होते हैं। इनके निम्न प्रकार हैं।
लेज़र प्रिंटर (Laser Printer)

लेज़र प्रिंटर मे Laser का अर्थ Light Amplification by Simulated Emission of Radiation है। एक लेज़र प्रिंटर सबसे तेज़ और उच्च गुणवत्ता वाला नॉन-इम्पैक्ट प्रिंटर है। यह एक फोटोकॉपियर मशीन की तरह काम करता है। लेजर प्रिंटर लेजर तकनीक और टोनर का उपयोग करके कागज पर आउटपुट की छवि को स्थानांतरित करता है। टोनर एक स्याही पाउडर है इसका उपयोग लेजर प्रिंटर और फोटोकॉपियर में भी किया जाता है। लेजर प्रिंटर के अंदर एक विशेष ड्रम होता है जिसपर पहले आउटपुट की छवि बनाई जाती है, और फिर इसे कागज पर स्थानांतरित किया जाता है। चुंबकीय स्याही पाउडर को सूक्ष्म बिंदुओं के रूप में फेंककर ड्रम पर आउटपुट की छवि बनाई जाती है। ये डॉट्स 300 डीपीआई से 1200 डीपीआई तक हो सकते हैं।
लेज़र प्रिंटर बहुत उच्च गुणवत्ता वाले रिज़ॉल्यूशन में टेक्स्ट और ग्राफिक्स दोनों को प्रिंट कर सकता है। लेजर प्रिंटर एक बार में एक पेज प्रिंट करता है। इसलिए लेजर प्रिंटर को पेज प्रिंटर भी कहा जाता है। माइक्रो कंप्यूटर के लिए लेजर प्रिंटर की प्रिंटिंग स्पीड लगभग 4 से 32 पेज प्रति मिनट और मेनफ्रेम कंप्यूटर के लिए 200 पेज प्रति मिनट तक होती है।
इंकजेट प्रिंटर (Inkjet Printer)

इंकजेट प्रिंटर नॉन-इम्पैक्ट प्रिंटर का प्रकार है। यह तरल स्याही की छोटी बूंदों को छिड़क कर कागज पर आउटपुट बनाता है। इंकजेट प्रिंटर में प्रिंट-हेड होता है जो स्याही की बहुत महीन बूंदों को स्प्रे कर सकता है। स्याही सियान, मैजेंटा, पीले और काले (CMYK) या रेड, ग्रीन, ब्लू (RGB) रंगों मे होती है। इसमें तरल स्याही से भरा प्रिंट कार्ट्रिज होता है और इसमें मैट्रिक्स के रूप में छोटे नोजल होते हैं। डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर की तरह, तरल स्याही का छिड़काव करके कागज पर अक्षर या छवि के आकार को बनाने के लिए नोजल के संयोजन को सक्रिय किया जाता है। इन प्रिंटरों का रिजॉल्यूशन 300 से 720 डीपीआई तक होता है। इंक-जेट प्रिंटर की कीमत लेजर प्रिंटर की तुलना में कम होती है। वे धीमे भी हैं और लेजर प्रिंटर की तुलना में कम प्रिंट गुणवत्ता वाले हैं। हालांकि, वे तेज़ हैं और डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर की तुलना में उच्च प्रिंट गुणवत्ता रखते हैं। इंकजेट प्रिंटर की प्रिंटिंग स्पीड 1 से 6 पेज प्रति मिनट तक होती है।
थर्मल प्रिंटर (Thermal Printer)

थर्मल प्रिंटर एक अन्य प्रकार का नॉन-इम्पैक्ट प्रिंटर है। यह केवल एक विशेष हीट सेंसटिव वैक्सी पेपर पर आउटपुट प्रिंट कर सकता है। वैक्सी पेपर पर आउटपुट प्रिन्ट करने के लिए डॉट्स को गर्म (जलाकर) किया जाता है। रंगीन आउटपुट के लिए, रंगीन वैक्सी शीट का उपयोग किया जाता है। थर्मल प्रिंटर उच्च गुणवत्ता वाला प्रिंटआउट तैयार कर सकता है।
3. प्लॉटर (Plotter)

प्लाटर एक आउटपुट डिवाइस है, एक प्लॉटर मूल रूप से एक बड़ा प्रिंटर होता है जिसका उपयोग वेक्टर ग्राफिक्स और निरंतर लाइनों को प्रिंट करने के लिए किया जाता है। एक पारंपरिक प्रिंटर निरंतर रेखाएँ नहीं खींच सकता इसलिए यह बिंदुओं से रेखाएं बनाता है। प्लॉटर सामान्य प्रिंटर की तुलना में बड़े ग्राफिक्स प्रिंट कर सकते हैं। प्लॉटर का उपयोग ज्यादातर CAD (Computer Added Design) और CAE (Computer Added Engineering) के लिए किया जाता है।
4. स्पीकर (Speaker)

स्पीकर एक आउटपुट डिवाइस है जिसका उपयोग कंप्यूटर से ध्वनि या आवाज सुनने के लिए किया जाता है।
5. प्रोजेक्टर (Projector)

एक प्रोजेक्टर एक आउटपुट डिवाइस है जो कंप्यूटर या ब्लू-रे प्लेयर द्वारा उत्पन्न छवियों को लेता है और उन्हें स्क्रीन, दीवार या किसी अन्य सतह पर प्रोजेक्शन द्वारा पुन: उत्पन्न करता है। उदाहरण के लिए, आप बड़ी स्क्रीन पर प्रस्तुतीकरण दिखाने के लिए प्रोजेक्टर का उपयोग कर सकते हैं ताकि कमरे में हर कोई इसे देख सके। लोगों के बड़े समूह को वीडियो या चित्र दिखाते समय इसका उपयोग मॉनिटर या टेलीविज़न के विकल्प के रूप में किया जा सकता है।
इनपुट डिवाइस क्या है? (What is the Input Device)
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दोस्तों मुझे उम्मीद है कंप्यूटर की आउटपुट डिवाइसेस से रिलेटेड यह पोस्ट आपके लिए इन्फार्मेटिव रही होगी। कंप्यूटर शिक्षा से संबंधित हमारी अगली पोस्ट कंप्यूटर लैंग्वेजेस से संबंधित होगी जिसमे आप High Level तथा Low Level लैंग्वेजेस के बारे मे डीटेल मे जानेंगे। अगर यह पोस्ट आपको अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें।
Very nice post sir..
Thanks you so much..