दोस्तों आज इस पोस्ट मे हम आपको RAM और ROM के बारे मे बताएंगे। RAM और ROM से संबंधित इंटरनेट पर कई सारे आर्टिकल उपलब्ध है, लेकिन फिर भी बहोत से लोग RAM और ROM का कंप्यूटर मे कार्य क्या है ये समझ नहीं पाते। क्योंकि टेक्निकल टर्म हर कोई नहीं समझ पाता और पढ़ने के बाद भी कन्फ्यूज़ रहते है। तो इस पोस्ट मे हम RAM और ROM क्या है बिल्कुल बेसिक से समझाने की कोशिश करेंगे।
RAM (रैंडम एक्सेस मेमोरी)
रैंडम एक्सेस मेमोरी, इसका मतलब है इस मेमोरी मे डाटा कोई फिक्स लोकैशन पर नहीं रहता है मतलब बदलता रहता है। रैम को वोलाटाइल मेमोरी कहा जाता है मतलब पावर सप्लाई न होने पर रैम खाली हो जाती है, जो भी डाटा होता है मिट जाता है। कभी कभी हम कंप्यूटर पर कोई फाइल बना रहे होते है और अचानक लाइट चली जाती है तो हमारे द्वारा की गई मेहनत भी वेस्ट हो जाती है। तो ऐसे मे बहुत से लोगों के मन मे सवाल उठता है आखिर लाइट जाने पर रैम का डाटा मिट क्यों जाता है। तो जानते है ऐसा होना क्यों जरूरी है लेकिन इससे पहले ये जान लेते है की रैम का असली यूज क्या है।
कंप्युटर मे कई प्रकार की मेमोरी प्रयोग मे लाई जाती है जैसे-
- इक्स्टर्नल मेमोरी (External Memory) : इसे कंप्यूटर मे अलग से लगाया जाता है। इसका प्रयोग फिक्स डाटा को स्टोर करने के लिए किया जाता है, जिसे यूजर अपनी मर्जी से कभी भी डिलीट कर सकता है तथा कभी भी स्टोर कर सकता है। इसके कई प्रकार हैं जैसे – हार्ड डिस्क, पेन ड्राइव, एसएसडी आदि।
- रोम (ROM) : यह एक चिप बेस्ड मेमोरी होती है जो सर्किट बोर्ड पर सोल्डेड होती है, जिसे न तो डिलीट क्या जा सकता है और न ही बदला जा सकता है। इसका प्रयोग BIOS (Basic Input Output System) प्रोग्राम को स्टोर करने के लिए किया जाता है।
- कैश मेमोरी (Cache Memory) : इस मेमोरी का प्रयोग CPU द्वारा प्रोसेसिंग के लिए किया जाता है। मतलब जो भी डाटा CPU प्रोसेस कर रहा होता है वह इसी मेमोरी मे स्टोर रहता है। इसका साइज़ बहुत कम होता है, जैसे 4 MB, 6 MB, 8 MB। इसे भी न तो बदला जा सकता है और न ही बढ़ाया जा सकता है।
- रैम (RAM) : यह कंप्यूटर के लिए मेन मेमोरी का कार्य करती है, इसे हम अपनी जरूरत के अनुसार बदल भी सकते है और बढ़ा भी सकते है। आपने सुना होगा कंप्यूटर हैंग करता है, स्लो चलता है तो रैम बढ़ा लो – कैसे आगे जानेंगे पहले समझते रैम का डाटा डिलीट क्यों हो जाता है।
रैम का डाटा क्यों डिलीट हो जाता है?
रैम मेमोरी को प्रोग्राम व फ़ाइलों को लोड करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, यह पावर सप्लाई रहने तक ही ऐक्टिव रहती है। जो भी डाटा या प्रोग्राम हम कंप्यूटर पर एक्सेस करते है वह सेकन्डेरी मेमोरी मे स्टोर रहता है। रैम टेम्परेरी तौर पर डाटा या प्रोग्राम को एक्सेस करने के लिए इस्तेमाल होती है। फिर भी मान लेते है अगर रैम को सेकेंडरी मेमोरी की तरह बना दिया जाए जिससे लाइट जाने पर डाटा डिलीट न हो, ऐसा करने से कंप्यूटर स्टार्ट करते ही रैम मे प्रोग्राम की फ़ाइलें व डाटा स्टोर होना स्टार्ट हो जाएगा, और कुछ ही देर मे रैम फुल हो जाएगी। क्योंकि रैम को स्थाई मेमोरी के रूप मे इस्तेमाल कर रहे है, इसलिए डाटा डिलीट न हो पाने से नए प्रोग्राम के लिए स्पेस ही नहीं बचेगा। जिससे कोई नया प्रोग्राम ओपन नहीं हो पाएगा और कंप्यूटर कार्य करना बंद कर देगा।
इसीलिए रैम को इस तरह डिजाइन किया गया है कि इसका स्टोरेज कभी फुल न हो। हम जब नया प्रोग्राम ओपन करते है तो वह रैम पर लोड होता है तथा बंद करने पर रैम से अपने आप हट जाता है। इससे दूसरे प्रोग्राम को लोड होने के लिए स्पेस बना रहता है, और प्रोग्राम लोडिंग मे कोई दिक्कत नहीं आती है। इसी वजह से सप्लाई बंद होने पर या कंप्यूटर के रिस्टार्ट होंने पर रैम मे लोड डाटा या प्रोग्राम डिलीट हो जाते है।
कंप्यूटर के हैंग या स्लो चलने मे रैम का क्या रोल है?
रैम का प्रयोग कंप्यूटर मे मुख्य तौर पर प्रोग्राम और अप्लीकेशन को चलाने के लिए किया जाता है। जब भी हम कोई भी प्रोग्राम स्टार्ट करते है तो वह रैम मे ही लोड होता है, तथा जब क्लोज़ करते है तो वह रैम से हट जाता है। रैम का साइज़ जितना अधिक होगा (जैसे- 4 GB, 8 GB या 16 GB आदि) उतने ज्यादा प्रोग्राम को एक साथ ओपन करके मल्टी टास्ककिंग कर सकते है या बड़े साइज़ के प्रोग्रामों को चला सकते है। साइज़ जितना कम होगा एक साथ उतने ही कम प्रोग्राम को चला पाएंगे तथा जब भी कोई बड़े साइज़ का प्रोग्राम या एक से अधिक प्रोग्राम ओपन करेंगे तो कंप्यूटर हैंग करने लग जाएगा या स्लो हो जाएगा।
कंप्यूटर को रिफ्रेश क्यों करते है?
कंप्यूटर को स्मूथली कार्य करने के लिए रैम मे कुछ स्पेस फ्री होना जरूरी है। क्योंकि बैकग्राउंड मे ऑपरेटिंग सिस्टम की बहुत सी फ़ाइलें भी रन करनी है जो रैम पर ही लोड रहती है। हम कंप्यूटर पर लगातार प्रोग्राम ओपन और क्लोज़ करते रहते हैं तथा कई बार कोई फाइल बनाते है और बिना सेव किये फाइल बंद कर देते है, या कोई डाटा कॉपी पेस्ट करते है। ऐसे मे कई फ़ाइलें रैम पर बनी रह जाती है जो रैम का स्पेस कवर करतीं है। समय समय पर रिफ्रेश करने से अनयूज्ड फ़ाइलें रैम से हट जाती है जिससे रैम रिफ्रेश और क्लीन होती है तथा कंप्यूटर स्मूथली वर्क करता है।
ROM (रीड ओन्ली मेमोरी)
रीड ओन्ली मेमोरी इसके नाम से ही पता चलता है इसे सिर्फ रीड ही किया जा सकता है। इसमे न तो कोई बदलाव किया जा सकता है और न ही कोई छेड-छाड़। यह एक चिप बेस्ड मेमोरी है जिसका प्रयोग BIOS प्रोग्राम के लिए किया जाता है। ROM मे स्टोर डाटा पावर सप्लाई न होने पर भी डिलीट नहीं होता इसीलिए रोम को एक नॉन वोलाटाइल मेमोरी कहा जाता है। BIOS प्रोग्राम को इसीलिए रोम मे रखा जाता है कि यह कभी भी डिलीट न हो। BIOS क्या होता है नीचे दिए गए लिंक से आप पढ़ सकते है इससे आप रोम के बारे मे अधिक समझ पाएंगे।
Conclusion
दोस्तों कंप्यूटर मे RAM और ROM दो ऐसे वर्ड है जो बहुत ही फेमस है। इनके बारे मे हर कोई पूछता है चाहे कोई कंप्यूटर से संबंधित परीक्षा हो या कोई इंटरव्यू। मेरा इस पोस्ट को लिखने का मतलब ही यही था कि RAM और ROM को बिल्कुल बेसिक से समझा सकूँ। मुझे उम्मीद है मेरे द्वारा दी गई जानकारी से आप संतुष्ट हुए होंगे। मेरी सभी रीडर्स के लिए यही कोशिश रहती है कि टेक व कंप्यूटर संबंधित जानकारी सरल हिन्दी भाषा मे उपलब्ध कराऊ। अगर आप कंप्यूटर मेमोरी के बारे मे डीटेल मे जानना चाहते है तो नीचे दिए लिंक से आप पढ़ सकते हैं।