What is C Programming Language in Hindi? C Language Introduction and History in Hindi.

नमस्कार दोस्तों! techdatahindi.com पर आपका स्वागत है। अगर आप भी ‘C’ प्रोग्रामिंग लैंग्वेज हिन्दी मे सीखना चाहते है तो फिर बने रहिए हमारे साथ; क्योंकि हम आपको C प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की कम्प्लीट सीरीज आसान हिन्दी भाषा मे प्रोवाइड कराने जा रहे हैं, इससे आप C लैंग्वेज आसानी से सीख पाएंगे। C लैंग्वेज के अंतर्गत आप इस सीरीज में निम्नलिखित टॉपिक्स सीखेंगे –

C Introduction, Input and Output Functions, C Data Types, Identifiers and Its Types, Operators, If Statements, Cases & Loops, Continue, goto & Break Statements, Arrays and Types, Strings, String Functions, Math Functions, Types of Functions, Pointers, Structures, Unions, File Handling, C Preprocessor and More…

C लैंग्वेज को चलिए प्रोग्रामिंग भाषाएं क्या होती है, इससे स्टार्ट करते हैं –

प्रोग्रामिंग भाषाएं क्या होती हैं?

प्रोग्रामिंग भाषा कंप्यूटर के साथ प्रोग्रामर का प्राथमिक इंटरफ़ेस होता है। कंप्यूटर प्रोग्राम्स जैसे – गेम्स, एप्प्स, यूटीलिटीस, एंटिवाइरस, वेबसाइट्स आदि बनाने के लिए प्रोग्रामिंग भाषाओं का उपयोग किया जाता है। प्रोग्रामिंग भाषाएं कई प्रकार की होती हैं, इन्हे निम्न दो कैटेगरी में बांटा गया है।

1. LLL – Low Level Language (निम्न स्तरीय भाषा)

2. HLL – High Level Language (उच्च स्तरीय भाषा)

Low Level Language

यह भाषाएं मशीन के अनुकूल होती हैं, इसलिए इन्हे मनुष्य द्वारा समझना काफी कठिन होता है। इन भाषाओं मे प्रोग्रामिंग कोड लिखने के लिए सिस्टम आर्किटेक्चर का गहरा ज्ञान होना जरूरी है। यह भाषाएं दो प्रकार की होती है।

  1. Binary Language – इसे मशीनी भाषा भी कहते हैं, बाइनरी भाषा को केवल 0 और 1 द्वारा लिखा जाता है। यहाँ 0 का मतलब Off और 1 का मतलब On होता है। बाइनरी भाषा को कंप्यूटर आसानी से समझ सकते हैं, इसलिए बाइनरी भाषा में लिखे कोड कंपाइल व इंटरप्रेट किए बिना आसानी से रन किये जा सकते है। बाइनरी भाषा मे लिखे प्रोग्राम अन्य भाषाओ की तुलना मे अधिक तेज एक्सक्यूट होते हैं। Link : क्या होती है बाइनरी भाषा विस्तार से समझें।
  2. Assembly Language – असेंबली भाषा मे प्रोग्राम कोड लिखने के लिए 0 और 1 के बजाय संख्याओं, प्रतीकों और अल्फानूमेरिक कोड का उपयोग किया जाता हैं। उदाहरण के लिए किसी प्रोग्राम में – जोड़, घटाव और गुणा करने के लिए Add, Sub और Mul आदि प्रतीकों का उपयोग किया जा सकता है। इस भाषा मे लिखे प्रोग्राम को रन करने के लिए असेम्बलर की आवश्यकता होती है, जो कोड को मशीनी भाषा मे परिवर्तित करता है।
High Level Language

किसी प्रोग्रामर द्वारा उच्च स्तरीय भाषा को पढ़ना, लिखना और समझना काफी आसान होता है। इस भाषा मे प्रोग्रामिंग कोड को सरल अंग्रेजी भाषा मे लिखा जाता हैं, जिससे प्रोग्रामर कोड को आसानी से समझ सकता है। लेकिन उच्च स्तरीय भाषा मे लिखे कोड को कंप्युटर नहीं समझ सकता इसलिए उच्च स्तरीय भाषा को मशीनी भाषा में परिवर्तित करने के लिए Compiler और Interpreter जैसे अनुवादक (Language Translator) का इस्तेमाल किया जाता है। उच्च स्तरीय भाषा का उपयोग यूजर द्वारा कंप्यूटर प्रोग्राम, सॉफ्टवेयर, गेम्स और वेबसाइटों को विकसित करने के लिए किया जाता है। आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली कुछ उच्च स्तरीय भाषाएँ C, C++, C#, Java, Python, PHP आदि हैं।

प्रोग्रामिंग भाषाओं को जानने के बाद अब जानते है भाषा अनुवादक क्या होते है, तथा कितने प्रकार के होते हैं।

भाषा अनुवादक (Language Translator) क्या होते हैं?

भाषा अनुवादक असेंबली व हाई-लेवल लैंग्वेज मे लिखे प्रोग्रामिंग कोड का मशीनी भाषा में अनुवाद करते हैं, ताकि कंप्यूटर कोड को समझ सके और प्रक्रिया कर सके। कंप्यूटर केवल बाइनरी लैंग्वेज (मशीनी भाषा) को ही समझ सकता है, इसलिए अन्य भाषाओं मे लिखे प्रोग्राम कोड को मशीनी भाषा मे बदलने के लिए भाषा अनुवादक (Language Translator) का उपयोग किया जाता है। भाषा अनुवादक निम्न प्रकार के होते हैं।

  1. Assembler – असेंबलर का उपयोग असेंबली भाषा मे लिखे प्रोग्राम को मशीन भाषा में परिवर्तित करने के लिए किया जाता है।
  2. Compiler – कंपाइलर उच्च स्तरीय भाषा कोड को मशीनी भाषा में परिवर्तित करने के लिए उपयोग किया जाता है। कंपाइलर प्रोग्राम के एक्सक्यूशन मे तेज होता है, क्योंकि यह सम्पूर्ण कोड को एक ही बार में एक्सक्यूट कर देता है, तथा प्रोग्राम एक्सक्यूशन मे आई एरर्स को एक साथ प्रदर्शित करता है।
  3. Interpreter – इंटरप्रेटर भी उच्च स्तरीय भाषा कोड को मशीनी भाषा में परिवर्तित करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह कम्पाइलर से धीमा होता है, क्योंकि यह प्रोग्राम कोड को लाइन बाई लाइन एक्सक्यूट करता है, तथा एरर आने पर रुक जाता है। एरर को ठीक करने के बाद प्रोग्राम को पुनः एक्सक्यूट करना पड़ता हैं।

नोट – C प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के प्रोग्राम कोड को एक्सक्यूट करने के लिए कम्पाइलर (Compiler) का उपयोग किया जाता है।

C प्रोग्रामिंग लैंग्वेज क्या है?

C Programming Language in Hindi : C एक जनरल पर्पस कंप्युटर प्रोग्रामिंग भाषा है, इसका उपयोग कंप्युटर सॉफ्टवेयर व अप्लीकेशन्स को डेवलप करने के लिए किया जाता है। C प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को Dennis Ritchie ने AT & T Bell Labs USA में 1972 में विकसित किया था। C सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली प्रोग्रामिंग भाषाओं में से एक है। यह सरल और कुशल प्रोग्रामिंग भाषा है, इसलिए इसका उपयोग सभी प्रकार की अप्लीकेशन/सॉफ्टवेयर को विकसित करने के लिए किया जाता है। कई सिस्टम सॉफ्टवेयर जैसे – UNIX, DOS और Windows के साथ-साथ एप्लिकेशन और प्रोग्रामिंग भाषाओं के लिए कंपाइलर व इंटरप्रेटर भी C प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में विकसित किए गए हैं।

C लैंग्वेज का इतिहास

प्रोग्रामिंग भाषाओं का आधार या जनक ALGOL (Algorithmic Language) है। इसे पहली बार 1960 में पेश किया गया था, इसके अंतर्गत स्ट्रक्चर्ड प्रोग्रामिंग की अवधारणा पेश की गई थी। इसके बाद 1967 में Martin Richards द्वारा एक नई कंप्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा विकसित की गई, जिसे BCPL कहा गया। इसका अर्थ Basic Combined Programming Language है। BCPL को विशेष रूप से सिस्टम सॉफ्टवेयर विकसित करने के लिए डिजाइन किया गया था। यह प्रोग्रामिंग भाषाओं का दौर था, इसके बाद 1970 में Ken Thompson द्वारा B नामक एक नई प्रोग्रामिंग भाषा पेश की गई जिसमें BCPL की कई विशेषताएं शामिल थीं। यह प्रोग्रामिंग भाषा AT & T, Bell Labs में UNIX ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल करके डिजाइन की गई थी। BCPL और B दोनों ही सिस्टम प्रोग्रामिंग लैंग्वेज थीं।

इसके बाद 1972 में एक महान कंप्यूटर वैज्ञानिक Dennis Ritchie ने Bell Labs में C नामक एक नई प्रोग्रामिंग भाषा विकसित की। इसे ALGOL, BCPL और B प्रोग्रामिंग भाषाओं से मिलाकर बनाया गया था। C प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में ALGOL, BCPL और B भाषाओं की सभी विशेषताएं शामिल थीं इसके अलावा इस भाषा मे कई और अवधारणाएं शामिल की गई जो इसे अन्य भाषाओं से बेहतर बनाती हैं।

C लैंग्वेज को क्यों सीखें?

C लैंग्वेज अन्य प्रोग्रामिंग भाषाओं के लिए एक बेस लैंग्वेज है। इसलिए C को मुख्य भाषा के रूप में सीखने से प्रोग्रामिंग भाषाओं को सीखना आसान बना देता है। अन्य प्रोग्रामिंग भाषाओं मे इस्तेमाल होने वाली अवधारणाएं C लैंग्वेज मे भी लगभग समान रूप से ही इस्तेमाल की जाती हैं, जैसे डेटा टाइप्स, ऑपरेटर्स, कंट्रोल स्टेटमेंट्स, लूप्स आदि। इसके अलावा विभिन्न अनुप्रयोगों में भी C का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। यह एक सरल भाषा है और इसमे लिखे प्रोग्राम तेजी से निष्पादित होते है। आज के टाइम मे C डेवलपर्स के लिए कई नौकरियां उपलब्ध हैं।

C एक स्ट्रक्चर्ड प्रोग्रामिंग भाषा है इसके अंतर्गत एक बड़े प्रोग्राम कोड को विभिन्न मॉड्यूल में बांटा जा सकता है, यह संरचना परीक्षण, रखरखाव और डिबगिंग प्रक्रियाओं को आसान बनाती है।

C प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का उपयोग

C Programming Language in Hindi : जैसा कि आपने जाना C प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है। नीचे आप जान सकते हैं कि C प्रोग्रामिंग भाषा का उपयोग किस प्रकार से किया जाता है।

  • C लैंग्वेज का उपयोग ब्राउज़र और उनके एक्सटेंशन को विकसित करने के लिए किया जाता है। Google Chrome ब्राउज़र C प्रोग्रामिंग भाषा का ही उपयोग करके विकसित किया गया है।
  • C लैंग्वेज का उपयोग डेटाबेसों को विकसित करने के लिए किया जाता है। जैसे MySQL सबसे लोकप्रिय डेटाबेस सॉफ्टवेयरों मे से एक है, इसे C भाषा मे लिखा गया है।
  • Adobe कंपनी द्वारा अधिकांश एप्लिकेशन C प्रोग्रामिंग भाषा का ही उपयोग करके विकसित किए गए हैं।
  • C भाषा का उपयोग ऑपरेटिंग सिस्टम्स को विकसित करने में किया जाता है। Microsoft के विंडोज, Apple के OS X, और सिम्बियन जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम C लैंग्वेज का उपयोग करके विकसित किए गए हैं। इसका इस्तेमाल डेस्कटॉप अप्लीकेशनों के साथ-साथ मोबाइल फोन के ऑपरेटिंग सिस्टम को भी विकसित करने के लिए किया जाता है।
  • C प्रोग्रामिंग भाषा का उपयोग कंपाइलरों को विकसित करने के लिए किया जाता है।
  • यह आईओटी (IOT) अनुप्रयोगों को विकसित करने के लिए व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली भाषा है।

C प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के फीचर्स

C भाषा के कुछ मुख्य फीचर्स जो इसे इतना बेहतर बनाती है, वे नीचे दिए गए हैं-

  • C तेज, शक्तिशाली और कुशल भाषा है।
  • C एक प्रोसीजरल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है।
  • C को सीखना आसान है।
  • C पोर्टेबल लैंग्वेज है, इसमे लिखे प्रोग्राम किसी भी सिस्टम पर रन कर सकते हैं।
  • C एक मध्य स्तरीय भाषा है।
  • C व्यापक रूप से स्वीकृत भाषा है।
  • C मॉड्यूलर प्रोग्रामिंग शैली का समर्थन करती है।
  • C सभी प्रकार के सिस्टम अनुप्रयोगों को डिजाइन करने के लिए उपयोगी भाषा है।
  • C UNIX की मूल भाषा है।
  • C को सिस्टम डिवाइस और असेंबली रूटीन से कनेक्ट करना आसान है।

C प्रोग्रामिंग IDE (Integrated Development Environment)

C Programming Language in Hindi : IDE का उपयोग प्रोग्राम को राइट और एक्जीक्यूट करने के लिए किया जाता है; जैसे – Borland C++, Turbo C++ और Dev C++ इत्यादि। यहां हम C प्रोग्राम को क्रीऐट, कंपाइल और एक्जीक्यूट करने के लिए Dev C++ IDE का इस्तेमाल करेंगे। यह एक ओपन सोर्स IDE है इसे इंटरनेट से फ्री मे डाउनलोड किया जा सकता हैं। Dev C++ IDE को सिस्टम पर इंस्टॉल करने के बाद C प्रोग्राम्स क्रीऐट किए जा सकते हैं। इसके लिए File Menu से New Source File लेंगे और प्रोग्राम कोड लिखेंगे।

C लैंग्वेज मे Hello World प्रिन्ट कराने का कोड

#include<stdio.h>

int main(void)

{

printf(”Hello World”);

}

C प्रोग्राम को सेव, कम्पाइल और रन करना

C प्रोग्राम को कंपाइल और एक्जीक्यूट करने से पहले प्रोग्राम को filename के साथ .c एक्सटेंशन नाम से सेव करना जरूरी है। Ex – hello.c
Dev C++ में C प्रोग्राम को कंपाइल करने के लिए Execute मेन्यू पर क्लिक करें और Compile पर क्लिक करें या F9 दबाएं।
Dev C++ में C प्रोग्राम रन करने के लिए Execute menu पर क्लिक करें और Run पर क्लिक करें या F10 दबाएं।
Dev C++ में C प्रोग्राम को कंपाइल और रन एक साथ करने के लिए Execute मेन्यू पर क्लिक करें और Compile and Run पर क्लिक करें या F11 दबाएं।

C प्रोग्राम कोड के पैरामीटर्स का विवरण

उपरोक्त Hello World प्रोग्राम मे इस्तेमाल किए गए सभी पैरामीटर्स को नीचे डिस्क्राइब किया गया है।

#include<stdio.h> यह एक प्रीप्रोसेसर स्टैन्डर्ड इनपुट/आउटपुट कमांड हेडर फ़ाइल है। किसी भी प्रोग्राम मे इसे शामिल करना जरूरी होता है क्योंकि इसके द्वारा ही कंपाइलर प्रोग्राम मे उपयोग किए गए इनपुट/आउटपुट फ़ंक्शन्स को एक्सक्यूट कर पाता है। हेडर फाइल को प्रोग्राम मे सबसे ऊपर डिफाइन किया जाता है।

int किसी फ़ंक्शन को डिफाइन करने के लिए int या void का उपयोग किया जाता है। int यह इंगित करता है कि फ़ंक्शन का मूल्यांकन करने पर यह इन्टिजर वैल्यू रिटर्न करेगा तथा void यह इंगित करता है कि फ़ंक्शन मे कोई तर्क (argument) पास नहीं किया जाएगा।
main() एक फ़ंक्शन है, जो मुख्य फ़ंक्शन होता है। कम्पाइलर main() फ़ंक्शन से ही प्रोग्राम निष्पादन स्टार्ट करता है।
{ } कर्ली ब्रेसिज़ किसी फ़ंक्शन की बॉडी होती हैं, इसके मध्य मे फ़ंक्शन से संबंधित कोड व निर्देश लिखे जाते हैं।
printf() यह एक लाइब्रेरी फंक्शन है; इसका उपयोग किसी भी स्टेटमेंट को आउटपुट के रूप में प्रिंट करने के लिए किया जाता है।
”Hello World” यह एक संदेश है; इसे आउटपुट के रूप में प्रदर्शित किया जाएगा। किसी भी संदेश को हमेशा डबल इनवर्टेड कामा “Msg” मे लिखा जाता है।
; सेमीकोलन का उपयोग किसी स्टेटमेंट को समाप्त करने के लिए किया जाता है।

उपरोक्त सभी पैरामीटर्स के बारे मे अधिक जानकारी आप आने वाले चैप्टर मे प्राप्त करेंगे, अभी आपको प्रोग्राम कोड लिखना और एक्सक्यूट करना सीखना हैं।

नोट – C एक केस सेंसिटिव (Case Sensitive) लैंग्वेज है, मतलब कैपिटल A और स्मॉल a दोनों को C लैंग्वेज एक नहीं समझता। C लैंग्वेज मे A और a दोनों का मतलब डिफरेंट होता है, इसलिए फंक्शन्स के नाम और सभी प्रोग्राम कोड को हमेशा लोअर केस में टाइप किया जाना चाहिए। हम किसी Identifier को डिक्लेयर करने के लिए बड़े और छोटे अक्षरों का उपयोग कर सकते हैं, लेकिन जैसे हम डिक्लेयर करेंगे हम Identifier को उसी रूप मे इस्तेमाल भी करेंगे। Identifiers प्रोग्राम मे इस्तेमाल किए जाने वाले वैरिएबल्स तथा फंक्शन कहलाते है, इन्हे आप अगले चैप्टर मे जानेंगे।

Final Words

C प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के अंतर्गत आज के आर्टिकल C Programming Language in Hindi मे आपने C लैंग्वेज के परिचय के साथ प्रोग्राम को क्रीऐट व एक्सक्यूट करना जाना। अगली पोस्ट मे आप कमेंट्स क्या होती है और इनका प्रोग्राम मे क्या यूज है; यह जानेंगे।

अगर आपके मन मे कोई प्रश्न हो तो कमेन्ट के जरिए जरूर पूछें, हमे आपके प्रश्न का रिप्लाइ देने मे खुशी होगी। C लैंग्वेज से संबंधित यह आर्टिकल C Programming Language in Hindi अगर आपको अच्छा लगा हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी जरूर शेयर करें।

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